गोरखपुर, (हि.स.)। बढ़ती थान ने किसानों की चिंताओं को बढ़ा दी है। वे अपनी फसल की सुरक्षा को चिंतित हैं। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने उनकी वाजिब चिंता को दूर करने को कीट बचाव की सलाह दी है। किसानों को समय रहते अपने फसलों में दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।
तापमान गिरने से मौसम और भूमि की आर्दता बढ़ गई है। ऐसे में किसानों की मेहनत और लागत बेकार हो सकती है। आर्द्रता बढ़ने से बहुत से कीट उत्पन्न और सक्रिय हो सकते हैं। अब किसानों द्वारा कीटों से अपनी फसल बचाने को कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना जरूरी है। वजह, इन कीटों की वजह से कई तरह के रोग भी उत्पन्न होते हैं और किसानों की मेहनत की कमाई बर्बाद हो जाती है।
ज्यादा सतर्कता बरतें आलू और तिलहन की फसलों का उत्पादन लेने वाले किसान
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आदित्य प्रकाश द्विवेदी की मानें तो आलू और तिलहन का उत्पादन लेने वाले किसानों को इस समय ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। बढ़ती आर्द्रता से आलू में झुकासा और तिलहन की फसलों पर माहू और पाला का प्रभाव हो सकता है। इससे उनकी फसल को नुकसान पहुंच सकता है।
क्या करें किसान
झुलसा और माहू रोग के अलावा पाला की वजह से होने वाले संभावित नुकसान से बचाव के लिए किसान आलू में जिनेब 75 प्रतिशत अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत की दर से छिड़काव करें। यह 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाता है, जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। इसी प्रकार तिलहनी फसलों में माहू के प्रकोप की दशा में एजाडीरैक्टीन पानी में घोलकर छिड़काव करें।
तापमान में गिरावट होने पर यह करें
तापमान के भारी गरावट की स्थिति में पाले से बचाव हेतु खेत हल्की सिंचाई करें। खेतों में चारों ओर से धुंआ करें। नर्सरी में पौधों के बचाव हेतु पालीथीन अथवा पुआल से ढक कर रखें।