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मकर संक्राति पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर किया दान
By Deshwani | Publish Date: 14/1/2018 3:37:22 PM
मकर संक्राति पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर किया दान

कानपुर (हि.स.)। मकर संक्रांति के पर्व पर शहरवासियों का सुबह से गंगा के घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने तड़के ही गंगा नदी में डुबकी लगाई। स्नान के बाद आस्थावानों ने गंगा घाट पर दान पुण्य किया। वहीं, पुलिस-प्रशासन जगह-जगह घाटों पर मुस्तैद रहा। इसके अलावा जगह-जगह पर पर्व के अवसर पर खिचड़ी भोज का भी आयोजन किया गया। 

सूर्य उपासना का पर्व मकर संक्रांति इस बार दो दिन मनाई जा रही है। उदयातिथि को मानने वाले कल मकर संक्रांति मनाएंगे। रविवार को मकर संक्रांति मनाने वाले ठंड होने बावजूद भी आस्था से सराबोर श्रद्धालुओं की टोलियां गंगा के घाटों की ओर डगर भरती नजर आ रही थी। बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग के साथ ही महिलाएं गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर सुख-समृद्धि की कामना की। सुबह से गंगा तट गंगा मैया के जयकारों से गुंजायमान रहे। सबसे ज्यादा भीड़ ऐतिहासिक स्थल बिठूर पर रही, इसके अलावा सरसैया घाट, परमट घाट, रानी घाट, भगवत दास घाट, भैरव घाट में लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। 
श्रद्धालु ब्रह्ममुहुर्त से ही गंगा के घाटों पर पहुंचने लगे जो दोपहर बाद तक भी यह सिलसिला चलता रहा। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के साथ ही दान कर पुण्य कमाया। तो वहीं प्रशासन भी सुरक्षा को देखते हुए पुख्ता इंतजाम किये हुए थे। लाउडस्पीकर से लोगों को बराबर जानकारी दी जा रही थी और बिजली की व्यवस्था भी पर्याप्त रही। घाटों की जिम्मेदारी एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा खुद लिये हुए थे और सुबह से ही सभी घाटों का जायजा लेते रहे। 
हिंदू परंपरा के अनुसार शुरू हुए शुभ कार्य 
मकर संक्रांति के इस पर्व से यानि रविवार से शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। अब होली पर होलाष्टक लगने से पहले तक विवाह के मुहूर्त के साथ अन्य शुभ कार्य भी संपन्न हो सकेंगे। मुंडन, यज्ञोपवीत आदि के लिए लोग उत्तरायण की प्रतीक्षा करते हैं। कई लोग कामना करते हैं कि उनके प्राण उत्तरायण में निकलें। क्योंकि उत्तरायण में प्राण निकलने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
जगह-जगह खिचड़ी वितरण
मकर संक्रांति पर जगह-जगह खिचड़ी प्रसाद का वितरण हुआ। कई स्थानों पर सार्वजनिक रूप से खिचड़ी बंटी। सरसैया घाट पर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने श्रद्धालुओं को खिचड़ी के प्रसाद का वितरण किया। इसके अलावा बड़ा चौराहा पर किराना व्यापार एसोसिएशन की ओर से भी खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया। इसी तरह सड़कों पर शहर के सैकड़ों जगह पर आस्थावानों ने खिचड़ी भोज कराया।
हिन्दुओं का है महत्वपूर्ण पर्व
आचार्य रामऔतार पाण्डेय ने बताया कि इस पर्व का बड़ा महत्व है। इसे देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पर्व जनवरी माह के तेरहवें, चौदहवें या पन्द्रहवें दिन पड़ता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है, इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व दक्षिण भारत में कुछ अलग तरह से पोंगल के रूप में मनाया जाता है, वहीं असम में यह माघ बीहू के तौर पर और पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। 
कहा जाता है कि देशभर में फैली सांस्कृतिक विविधता में भी ऐसे पर्व एकता का रूप है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का महत्व सबसे ज्यादा है। मकर संक्रांति के दिन देव मकर राशि में आते हैं। तब से मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। बताया कि इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुनः प्राप्त होता है।
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