जयपुर, (हि.स.)। राजधानी में शनिवार तड़के तीन बजे के करीब एक दर्दनाक घटना घटी। विद्याधर नगर के सेक्टर नौ शांतिकुंज में एक ही परिवार के पांच लोगों की आग लगने के बाद दम घुटने और झुलसने से मौत हो गई। लोगों ने धमाके के बाद नींद खुलने पर पुलिस को सूचित किया और मौके पर जान की परवाह किए बगैर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग का भयावह रूप और दमकलों की देरी के चलते एक वृद्ध समेत पांच लोगों की मौत हो गई। हादसे के समय मकान मालिक संजीव गर्ग और उनकी पत्नी आगरा गए हुए थे। उनके घर में लगी आग ने उनके पिता, बच्चों सबको हमेशा के लिए छीन लिया।
पुलिस ने बताया की जांच के बाद सामने आया है कि आग का कारण हीटर ऑन करते समय शॉट-सर्किट रहा। जिसके बाद आग को फैलने से रोकने के लिए बहुत प्रयास किया गया। दो सिलेण्डरों को घर से बाहर निकालने की कोशिश की गई, संभवत इसी प्रयास में सिलेण्डर भभक गए और उनसे हुए विस्फोट से पूरे मकान में आग लग गई। जांच में यह भी सामने आया कि मकान अंदर से लॉक हो जाने के कारण भी लोग बाहर नहीं निकल पाए| दम घुटने और आग से बचने के लिए इधर-उधर बचने की जद्दोजहद में झुलसने से उनकी मौत हो गई।
हादसे की भीषणता को देखकर पुलिस मान रही है कि किसी का बचना मुश्किल था, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो हादसे के बाद भी उनके परिवार के कुछ सदस्य जिंदा थे, जिनकी मौत दमकलों की लेटलतीफी के कारण दम घुटने से या आग से बचने के प्रयास में हो गई। मौके पर पहुंची फॉरेंसिक टीम ने अपनी जांच शुरू की, जिसके बाद यह कारण सामने आए हैं। आग बुझाने के बाद घर के अंदर सिलेण्डर के टुकड़े मिले तो नीचे की पूरी वायरिंग तक जली हुई मिली।
जिस समय यह हादसा हुआ उस समय ग्राउण्ड फ्लोर पर महेन्द्र गर्ग (75) के साथ दोनों पोतियां अपूर्वा (20) व अर्पिता(22) थीं। लोगों ने बताया कि दादा का दोनों पोतियों से विशेष लगाव था| इस कारण पोतियां उनके साथ ही रहती थीं। शुक्रवार को दोनों पोतियां संभवत: दादा को खाना खिलाने के बाद उनके साथ ही सोई थीं। संजीव का बेटा अनिमेष (17) और भांजा शौर्य (20) ऊपरी मंजिल में थे। शौर्य और अनिमेष घर बंद होने के कारण संभवत धुएं से अचेत हो गए और दम घुटने की वजह से उनकी मौत हो गई| आग से ग्राउण्ड फ्लोर पर मौजूद तीनों लोगों की मौत भी हो गई। आग बुझ जाने के बाद पांचों को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने सभी को मृत घोषित कर दिया।
लोगों ने पांचों को बचाने की भरसक कोशिश की। पूरे मोहल्ले के लोगों ने घरों की टंकियों से पानी की बाल्टियां भरकर घर के आसपास चढ़ पानी डाला और पूरी कोशिश की कि हादसे से किसी को बचाया जा सके। लोग सीढ़ी लेकर तक छत पर पहुंचे और आग बुझाने के लिए पानी पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन आग नहीं थमी। लोगों का आक्रोश इस बात पर था कि मौके पर दमकल की गाड़ियां करीब एक घंटे देरी से पहुंची और जो गाड़ियां आई उनमें भी पानी का प्रेशर सही नहीं था जिससे कुछ दमकलों को काम करने में देरी लगी| इसके चलते ऊपर की मंजिल पर सो रहे दो लोगों को नहीं बचाया जा सका।
लोगों की मानें तो अनिमेष और शौर्य को बचाया जा सकता था, लेकिन अग्निशमन की लापरवाही के कारण उनकी मौत हो गई जिसके बाद मौके पर पुलिस को लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ा। मकर सक्रान्ति से ठीक एक दिन पहले परिवार की खुशियां मातम में बदल गई।