सतना, (हि.स.)। वर्तमान के बेरोजगारी के हालात में क्या कोई शिक्षित युवक एक बड़े सीमेन्ट प्रतिष्ठान में अपनी सीनियर आफीसर की जमी जमाई पोस्ट छोडक़र उद्यम अपनाने की दिशा में सोच सकता है? शायद जवाब नहीं में होगा। लेकिन सतना जिले के नवयुवक अबीर द्विवेदी ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से प्रभावित होकर यह कर दिखाया है। उन्होने योजना के तहत 20 लाख रूपये का ऋण लेकर सतना शहर के जीवन ज्योति कालोनी मे कपडों का अस्पताल नामक आटोमेटिक मार्डन लांड्री की इकाई स्थापित की है। इस यूनिट मे 10 व्यक्तियो को उन्होंने रोजगार दिया है और सारे खर्चे निकालकर प्रतिमाह 25 हजार 300 रूपये की ऋण किष्त भी बैंक को लौटा रहे हैं।
डिप्लोमा इन बिजनेश मैनेजमेन्ट और इन्दौर से एच.आर. मार्केटिंग मे एम.बी.ए. की डिग्री प्राप्त कर अबीर द्विवेदी वर्ष 2011 से 2015 तक एक बडे औद्योगिक प्रतिष्ठान मे लाजिस्टिक डिपार्टमेन्ट मे सीनियर आफीसर के पद पर कार्यरत रहे। वर्ष 2015 मे मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की खूबियां देखकर अबीर के मन मे सफल उद्यमी बनने का विचार आया। उन्होने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत जून 2015 मे 30 लाख रूपये की लागत का आटोमेटिक मार्डन लांड्री का प्रोजेक्ट तैयार किया। योजना के तहत इलाहाबाद बैंक की सायंकालीन शाखा ने उन्हे 20 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत कर दिया।
अबीर ने 19 लाख रूपये की मशीनरी ड्रायर ट्रंबलर, हाईड्रो स्ट्रक्टर ड्राईक्लिनिंग हाईड्रो मशीन आदि दिल्ली से लाकर कपडो का अस्पताल नामक सतना ड्राईक्लीनर्स एण्ड लांड्री सर्विसेस की मार्डन लांड्री अक्टूबर 2015 मे 2500 वर्गफिट की जगह मे 12 हजार रूपये मासिक किराये के भवन मे स्थापित कर ली। वर्तमान मे अबीर की इस लाड्री इकाई मे 10 व्यक्ति शिफ्ट मे रात दिन काम करते है और अपना जीवन यापन उचित स्वरूप मे कर रहे है। सतना जिले के प्रमुख बडे संस्थानो और होटल के अलावा इतना काम मिलता है कि उन्हे अपना उद्यम रात दिन चलाना पड़ता है। कच्चा माल, मशीनो के रख रखाव, मजदूरी, भवन का किराया एवं सभी खर्च काटने के बाद आराम से नियमित रूप से बैंक का ऋण भी पटा रहे है। आज अबीर द्विवेदी की गिनती शहर के सफल युवा उद्यमी के रूप मे की जाती है। अबीर द्विवेदी का कहना है कि बेरोजगारी के इस दौर मे युवाओ को नौकरी के पीछे भागने की बजाय अपना स्वयं का उद्यम या रोजगार स्थापित करना चाहिये। सरकार की मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना युवाओ के सपनो को साकार करने मे मददगार साबित हो रही है।
उन्होंने बताया कि अब विमान कम्पनियां अपनी-अपनी उड़ानों में नॉट-टर्नअप होने वाले यात्रियों की मॉनिटरिंग करती हैं। महीने में नॉट टर्नअप होने वाले यात्रियों के औसत के हिसाब से अतिरिक्त सीटें बुक कर लेती हैं। इससे विमानों में सीटें खाली नहीं रहती है।
अधिकारी ने बताया कि जो यात्री समय से नहीं पहुंचते हैं, उनकी जगह अतिरिक्त बुकिंग वाले यात्रियों को भेज दिया जाता है। वहीं, टर्नअप पैसेंजर्स को दूसरी उड़ानों से भेजा जाता है।
उन्होंने बताया कि यह काम अब जेट एयरवेज के साथ एयर इंडिया, विस्तारा, गो एयर, इंडिगो, जेट लाइट के साथ ही लगभग सभी एयरलाइंस कर रही हैं। इस सिस्टम में एयरलाइंस को दूसरे विमानों में उस समय के अधिकतम किराए का भुगतान करना पड़ता है जिससे टिकट महंगे हो जाते हैं ।
अधिकारी ने बताया कि नॉट टर्नअप पैसेंजर्स की सीटें महंगी दरों पर बिकती हैं। लखनऊ से दिल्ली का औसतन 2500 से 4500 तक का टिकट आखिरी समय में 12000 से 14000 तक में बिक जाता है। जिससे दूसरी विमान कंपनियों को काफी फायदा होता है।