पटना उच्च न्यायलय ने नगर निकाय चुनाव पर लगायी रोक, आयोग के पदाधिकारियों की बैठक जारी, राजनीतिक टीका-टिप्पणी शुरू
पटना। पटना उच्च न्यायालय ने नगर निकाय चुनाव पर रोक के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग आला अधिकारियों की बैठक जारी है। राज्य में 10 और 20 अक्टूबर को दो चरणों में नगर चुनाव होने वाले थे।
हाइ कोर्ट की रोक के आदेश के बाद राजनीतिक टीका-टिप्पणी भी शुरू हो गयी है। भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा कर दी जिससे चुनाव को टाला जा सके और पिछड़ा तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग को उसके अधिकारों से वंचित रखा जा सके। इधर जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने हाईकोर्ट के इस फैसले
को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
न्यायाधीश संजय करोल और एस. कुमार की खंडपीठ ने चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग, ईबीसी को आरक्षण दिये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर आज आदेश सुनाया। पीठ ने कहा कि आरक्षण देने में आयोग और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पूरी तरह अवहेलना की है।
न्यायालय ने कहा कि जब तक सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेता है, तब तक स्थानीय निकायों में ईबीसी को आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है।
साथ ही यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी, एसटी और ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। आदेश में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग ईबीसी के लिए बीस प्रतिशत आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनाव प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है।
न्यायालय ने चुनाव के लिए नये सिरे से अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया अपने फैसले में पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग को कड़ी फटकार लगाते हुये कहा कि आयोग को एक स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय के रूप में काम करना चाहिए। वह बिहार सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है।
भाजपा ने कहा है कि चुनाव की आधी-अधूरी तैयारी से यह साफ हो गया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की विरोधी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा कि बिना आरक्षण रोस्टर बनाये चुनाव करवाना चुनाव टालने की सोची समझी रणनीति है।