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बिहार
कैलाश खेर ने पटनाइट्स को अपने गानों से झूमने को किया मजबूर, कहा- बिहार गुणियों व मनीषियों की धरती
By Deshwani | Publish Date: 7/10/2018 7:29:36 PM
 
पटना। रंजन सिन्हा। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।

फेमस पॉप रॉक सिंगर पद्मश्री कैलाश खेर ने पटना के बापू सभागार में अपने गानों पर पटनाइट्स को झूमने को मजबूर कर दिया। मौका था बिहार : एक विरासत कला एवं फिल्‍म महोत्‍सव 2018 के समापन समारोह के दौरान  बापू सभागार में ग्रामीण स्‍नेह फाउंडेशन द्वारा कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए आयोजित एक म्‍यूजिक कंसर्ट का।
 
 
 जैसे ही कैलाश खेर ने अल्‍लाह के बंदे गाने से इस म्‍यूजिक शाम की शुरूआत की, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से झूम उठा। उसके बाद उन्‍होंने सैंया, तेरी दीवानी, इश्‍क न इश्‍क हो आदि गानों से लोगों का खूब मनोरंजन किया।
 

बिहार गुणियों व मनीषियों की धरती- कैलाश

इससे पहले  खेर ने कहा कि बिहार गुणियों और मनीषियों की धरती है। यहां कैंसर जैसे भयंकर बीमारी के खिलाफ ग्रामीण स्‍नेह फाउंडेशन जैसी संस्‍था के नेक और पुण्‍य कार्य, सोने पर सुहागा जैसा है। क्‍योंकि कैंसर से जागरूकता बेहद अहम है। इसलिए मैं लोगों को यहां जागरूक करने आया हूं। उन्‍होंने कहा कि गंगा कुमार ने एक बड़ा बीड़ा उठाया है और इससे हमको जोड़ा है। इसलिए हम पटना वासियों के लिए गाने आये हैं। हम लाइव कंसर्ट के जरिये लोगों में जागरूकता लाने को प्रतिबद्ध हैं। उन्‍होंने कहा कि आप भी जानिये और अपने आस पास के लोगों को भी  जोड़िए। ताकि वे इस बीमारी से जानकारी लेकर अपनी जिंदगी का बचाव कर सकें।
 
 
गौरतलब है कि ग्रामीण स्‍नेह फाउंडेशन अपने कैंसर जागरूकता के अलावा अपने सामाजिक कार्य क्षेत्र के अंतर्गत ‘बिहार : एक विरासत’ के माध्‍यम से बिहार के लुप्‍त हो रहे सांस्‍कृतिक, पारंपरिक एवं बिहार के विरासत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्‍न सांस्‍कृतिक और जागरूकता अभियान चलाता रहा है।
 
 
बिहार भाषा एवं संस्‍कृति के दृष्टिकोण से पांच भागों में विभाजित है – अंगिका, वज्जिका, मगही, भोजपुरी और मैथिली। इन पांचों की संस्‍कृति भी विविधताएं हैं। जैसे भोजपुर का चैता, कजरी, सोहर एवं कटनी नृत्‍य और मगध का देवाश एवं छठ पूजा विश्‍वभर में प्रसिद्ध है। अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी लोक गाथा और मिथिला में राम विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले संस्‍कार वाले गीतों का अपना ही महत्‍व है।  
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