पटना सिटी कोर्ट में पेशी के बाद लौट रहे कैदियों के वाहन में विस्फोट, 5 पुलिसकर्मियों ने संभाला मोर्चा
पटना। पटना सिटी कोर्ट में पेशी के बाद 18 कैदियों को लेकर बेऊर जेल लौट रहे कैदी वाहन में एक-एक कर पांच बम धमाके हुए। दशरथा मोड़ पेट्रोल पंप के पास वाहन में बम विस्फोट होने से वाहन में मौजूद असलहा लैस सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल पोजीशन ले लिया। पहले लगा कि वाहन पर किसी ने बम फेंका है। लेकिन इसकी कोई सुगबुगाहट नहीं मिलने पर कैदी वाहन चालक और सुरक्षा कर्मी यह समझ गये कि बम बाहर से नहीं फेंका गया, बल्कि वाहन में ही विस्फोट हुआ है।
हालात को समझते हुए कैदी वाहन चालक राणा ने बहादुरी दिखायी और वाहन को बिना कहीं रोके सीधे बेऊर जेल लेकर पहुंचा। इधर तत्काल एसएसपी मनु महाराज को इसकी जानकारी दी गयी। वायरलेस पर मैसेज फ्लैश किया गया। भारी संख्या में पुलिस बल दशरथा मोड़ से लेकर बेऊर जेल तक पहुंचे। तत्काल एसएसपी मीटिंग छोड़ कर दल-बल के साथ बेऊर जेल पहुंचे। वहां पर पूरे मामले की जांच की और कैदी वाहन में मौजूद सभी 18 कैदियों से पूछताछ की।
सभी का बयान लिया गया है। हालांकि बम बहुत शक्तिशाली नहीं था लेकिन पांच विस्फोट से हड़कंप मच गया। कैदी वाहन से एक जिंदा बम और एक पिस्टल में तीन लोडेड गोलियां भी बरामद की गयी हैं। बम निरोधक दस्ता ने जिंदा बम को निष्क्रिय किया है। इस घटना में एक पुलिसकर्मी और एक कैदी के घायल होने की चर्चा है लेकिन जेल प्रशासन इससे इन्कार कर रहा है।
वाहन में मौजूद थे दो बड़े अपराधी : जिस कैदी वाहन में विस्फोट कराया गया है, उसमें दो बड़े अपराधी थे जिसमें सोनू और सिकंदर शामिल हैं। बाकी सभी सामान्य कैदी थे. यह वही सोनू है, जिसे अप्रैल, 2015 में रांची से गिरफ्तार किया गया था। सोनू झारखंड के पीएलएफआई के सरगना का दाहिना हाथ है. सोनू ने ही 2015 में बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के क्वार्टर में बम का जखीरा रखा था, जिसे विस्फोट होने के दौरान पकड़ा गया था।
बम धमाके की जांच एटीएस ने भी की
शहर में कैदी वाहन में बम धमाका करके भागने की जुगत लगानेवाले मामले की जांच एटीएस (एंटी टेरोरिस्ट स्कॉयड) की विशेष टीम ने भी की है. जांच के दौरान एटीएस ने यह पाया कि यह बम सामान्य स्तर का था और इसका धमाका भी सामान्य स्तर का ही था. इसका मुख्य उदेश्य दहशत फैला कर मौके से फरार होना था, लेकिन, पुलिसवालों की मुस्तैदी की वजह से अपराधियों का यह प्लान सफल नहीं हो पाया।
एटीएस ने यह भी पाया कि बम काफी कम क्षमता वाला था। इसका कहीं से कोई नक्सली कनेक्शन या किसी आतंकी संगठन से कोई ताल्लुक नहीं है. बम बनाने का तरीका पूरी तरह से देसी था। जांच में यह भी पता चला कि कुछ दिनों पहले पटना पुलिस ने पीएलएफआई के कुख्यात अपराधी शंकर को गिरफ्तार किया था। उसके गिरोह के लोगों ने ही इस घटना को अंजाम दिया है।
5 पुलिसकर्मियों ने संभाला मोर्चा, होंगे पुरस्कृत : कैदी वाहन में विस्फोट के दौरान मोर्चा संभालने वाले पुलिसकर्मियों को पटना पुलिस की तरफ से पुरस्कृत किया जायेगा. एसएसपी ने कहा है कि जिस समय वाहन में विस्फोट हुआ, उस समय कुख्यात सोनू के सहयोगी बाइक से कैदी वाहन के साथ चल रहे थे।