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पटना
बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : राज्यपाल
By Deshwani | Publish Date: 26/1/2018 4:12:09 PM
बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : राज्यपाल

पटना (हि.स.)| बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने 69वें ‘गणतंत्र दिवस’ के अवसर पर सुशासन एवं न्याय के साथ विकास के लिए राज्य सरकार के सार्थक प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोंच्च प्राथमिकता है।
राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में झंडा फहराते हुए राज्यपाल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के विruरूद्ध ‘जीरो टालरेंस’ की नीति पर कायम है। ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम’, ‘सुशासन के कार्यक्रम’, ‘विकसित बिहार के सात निश्चय’, ‘लोक संवाद कार्यक्रम’, ‘बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’, ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’, ‘कुशल युवा कार्यक्रम’, ‘बिहार स्टार्ट-अप नीति’, ‘बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम-2016’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इन कार्यक्रमों के सफल कार्यान्वयन के लिए सतत प्रयत्नशील है।
राज्यपाल ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति जागरूक होकर उसे दूर करने के बाद ही विकासात्मक कार्यों का लाभ समाज को मिल सकता है। समाज-सुधार के कार्यक्रमों को भी पूरी तत्परता के साथ लागू किये जाने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त अधिकांश कुरीतियों से सबसे अधिक महिलायें प्रभावित होती हैं।
राज्यपाल ने कहा कि इन सबका ध्यान रखते हुए सरकार ने पूर्ण शराबबंदी लागू की तथा पूर्ण नशाबंदी का संकल्प लिया है। संपूर्ण बिहार में इसके प्रति जनसामान्य, विशेषकर महिलाओं, युवाओं एवं बालक-बालिकाओं में उत्साह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से शराबबंदी राज्य में एक सामाजिक अभियान का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ एवं संयमी हुआ है, जिसका अतुल्य प्रभाव बिहार की प्रगति में परिलक्षित हो रहा है। शराबबंदी के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा पारिवारिक हिंसा, घरेलू कलह एवं सामाजिक अपराध में कमी आई है।
मलिक ने कहा कि राज्य सरकार ने सामाजिक सुधार की इस कड़ी में पिछले वर्ष 2 अक्टूबर से बाल-विवाह एवं दहेज-प्रथा के उन्मूलन हेतु राज्यव्यापी अभियान प्रारंभ किया है। बाल-विवाह और दहेज-प्रथा के विरुद्ध वर्तमान में कानूनों के होने के बाद भी दोनों कुरीतियाँ समाज में व्याप्त हैं और इसलिए इनके विरुद्ध सभी के सहयोग से सामाजिक अभियान चलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान के माध्यम से शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, लैंगिक असमानता, कुपोषण एवं बौनापन, लड़कियों में असुरक्षा की भावना, अशिक्षा आदि समस्याओं को कम करने में सहायक होगा। इस वर्ष 21 जनवरी को बाल विवाह तथा दहेज प्रथा के विरुद्ध बिहारवासियों ने लगभग 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनाकर इस अभियान के समर्थन में अपने संकल्प को प्रकट किया ।
बिहार के गौरवशाली इतिहास और संपन्न विरासत की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विकास के साथ-साथ कला, संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र के संवर्द्धन पर राज्य सरकार विशेष ध्यान दे रही है। पिछले वर्ष 23 से 25 दिसम्बर तक श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाष पर्व का ‘शुकराना समारोह’ सफलतापूर्वक आयोजित किया गया जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि इसी तरह बापू के ‘चम्पारण सत्याग्रह’ की ऐतिहासिक स्मृति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष 2017-18 को ‘चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर महात्मा गाँधी एवं चम्पारण-सत्याग्रह से जुड़े स्थलों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर बापू के आदर्श एवं संदेशों को घर-घर तक पहुँचाया गया है तथा बच्चों को महात्मा गाँधी के विचारों एवं आदर्शों से अवगत कराया जा रहा है। राज्यपाल ने बताया कि चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह का समापन आगामी ‘बिहार दिवस’ के अवसर पर किया जायेगा। ‘1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह के 160वें विजयोत्सव के अवसर पर 23 से 25 अप्रैल, 2018 तक तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
राज्यपाल मलिक ने कहा कि बिहार राज्य में सभी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के बीच अनुकरणीय समन्वय है और सरकार समाज में सद्भभाव एवं भाईचारा का वातावरण बनाये रखने के लिए प्रयासरत है । बिहारवासियों से राज्य को आर्थिक रूप से सबल तथा सामाजिक एवं नैतिक रूप से सशक्त बनाने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया ।

 

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