पटना, (हि.स.)। राजद-कांग्रेस द्वारा जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती मनाए जाने को भाजपा प्रवक्ता राजीव रंजन ने ढकोसला करार दिया है। राजीव रंजन ने कहा कि बिहार में कर्पूरी के सपनों के साथ सबसे ज्यादा विश्वासघात करने वाले राजद-कांग्रेस को कर्पूरी की जयंती मनाने का कोई हक नहीं है।
रंजन ने बुधवार को कहा कि हकीकत में वंशवाद और भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबी राजद-कांग्रेस और उनके सहयोगियों ने आज कर्पूरी की नीतियों को पूरी तरह तिलांजलि दे दी है। यही वजह है कि पिछड़े/अतिपिछड़ों के मुद्दों पर कांग्रेस और उनके सहयोगियों की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहता है।
भाजपा प्रवक्ता रंजन ने कहा कि अगर पिछड़ा/अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा तो इस समुदाय के लोगों को नौकरी आदि सुविधाएं प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी। राजद-कांग्रेस तथा उसके सहयोगियों के लाख बाधा डालने के बाद भी भाजपा पिछड़ा/अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिकता प्रदान करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके लाख विरोध के बाद भी भाजपा इसे लागू करवा कर ही रहेगी।
राजद-कांग्रेस को पिछड़े/अतिपिछड़ों का सबसे बड़ा विरोधी करार देते हुए रंजन ने कहा कि राजद-कांग्रेस की आज तक की राजनीति को देखें तो बिहार की राजनीति में पिछड़े/अतिपिछड़े समाज का इनसे बड़ा विरोधी कोई नहीं दिखाई देता है। चुनाव में इनके नेताओं ने खुद को पिछड़े/अतिपिछड़े समाज का हितैषी बताते रहे हैं, लेकिन इनकी असलियत इसके ठीक विपरीत है। हकीकत में राजद-कांग्रेस और उसके सहयोगी नहीं चाहते कि पिछड़े/अतिपिछड़े समाज का विकास हो। वह नहीं चाहते की उन्हें नौकरी आदि सुविधाओं में सहयोग मिले।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 1953 में आयी काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट के बाद से ही पिछड़ा/अतिपिछड़ा समुदाय के लोगों की यह मांग रही है कि एससी/एसटी आयोग की तर्ज पर पिछड़ा/अतिपिछड़ा आयोग का भी गठन हो। इससे वह भी एससी/एसटी समुदाय के लोगों की तरह समुचित लाभ लेकर देश के विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें, लेकिन इस महत्वपूर्ण विषय को राजद-कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने आज तक लटकाए रखा है। आज भाजपा के लाख प्रयास के बावजूद कांग्रेस और उसके सहयोगी दल राज्यसभा में छोटी-छोटी तकनीकी चीजों को लेकर पिछड़ा/अतिपिछड़ा आयोग के गठन में अड़ंगा लगा रहे हैं।