पटना
क्यों नहीं ड्रग माफियाओं के खिलाफ जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा जाए : हाईकोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 19/1/2018 3:28:37 PMपटना (हि.स.) | पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से एक फरवरी तक यह बताने को कहा है कि बिहार के ड्रग माफियाओं के खिलाफ जांच का जिम्मा उसे क्यों नहीं सौंप दिया जाए? मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने सीबीआई को कहा 'वह अपने एसपी या संबंधित पदाधिकारी से इस मामले में बात कर अदालत को अगली सुनवाई पर इसकी जानकारी दें, ताकि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा सके।
सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि जो दवाएं छापेमारी के दौरान बरामद की गई हैं, वे दवाएं महाराष्ट्र द्वारा गुजरात को भेजी गई थी और गुजरात में जब दवा एक्सपायर कर गई तो उसी दवा को उसका रेपर बदलकर बिहार में भेज दिया गया जो जांच में भी आया है।
इतना ही नहीं इसी बीच राज्य सरकार ने इस मामले को उजागर करने वाले दो ड्रग इंस्पेक्टर कयामुद्दीन और सचिदानंद का स्थानांतरण जांच के दौरान कर दिया है ताकि द्वारा ड्रग माफ़िया को बचाया जा सके । इन ड्रग माफियाओं के संबंध दूसरे राज्य के ड्रग माफियाओं से भी है। यह एक बड़ा रैकेट है। सरकार के इस निर्णय से जांच कार्य प्रभावित हो रहा है ।
इस बीच राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि सरकार ड्रग माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इसी कार्रवाई के तहत सरकार ने 16 ड्रग माफियाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है । इन प्राथमिकियों में 82 ड्रग माफियाओं को अभियुक्त बनाया गया है । इसमें 42 ड्रग माफिया गिरफ्तार किए जा चुके हैं तथा 33 ड्रग माफिया फरार हैं । अदालत ने 8 ड्रग माफियाओं को जमानत पर रिहा कर दिया है। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि ड्रग माफियाओं के खिलाफ एक अभियान चलाकर राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है, लेकिन राज्य सरकार के जवाब से अदालत असंतुष्ट नजर आया और सीबीआई से जांच करने के संबंध में जानकारी मांगी |
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा जब इस मामले में सूबे के ड्रग माफियाओं के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला दायर किया गया।
इस याचिका में कहा गया है कि ऑपरेशन ड्रग माफिया चलाकर 27 मई 2017 से 28 मई 2017 तक गोविंद मित्रा रोड स्थित एक दवा सप्लायर की दुकान पर जब छापेमारी की गई तो वहां से कई तरह के एक्सपायर एवं आपत्तिजनक दवाओं के साथ-साथ बिहार सरकार के अस्पतालों में सप्लाई होने वाली दवा जिस पर 'नाट फॉर सेल' लिखा हुआ था, बरामद हुआ। जांच कर रही कमेटी ने इस मामले में पाया कि पीएमसीएच से जो दवा गायब पाई गई थी, यह वही दवा है। जांच दल ने अस्पतालों में हो रहे दवा के दुरुपयोग को रोकने के लिए तथा दोषियों पर कार्रवाई करने की बात रिपोर्ट में कही थी। बावजूद इसके सरकार द्वारा ड्रग माफियाओं के खिलाफ जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तब यह लोकहित याचिका अदालत में दायर की गई।
अदालत ने पूर्व की सुनवाई में ही राज्य सरकार से पूछा था कि अगर वह ड्रग माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल है तो क्यों नहीं इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया जाए ?