बिहार
सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान जज करें कोरेगांव घटना की जांच: पप्पू यादव
By Deshwani | Publish Date: 3/1/2018 7:53:29 PM
-सामाजिक सौहार्द बनाये रखने की हो कोशिश
पटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क
जन अधिकार पार्टी (लो) के संरक्षक और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव की घटना की सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। पटना में पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की घटना का असर पूरे देश में पड़ रहा है। इसके नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाया जाना जरूरी है। महाराष्ट्र में सवर्ण और दलितों का संघर्ष हिंसक रूप ग्रहण का चुका है। इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का संकट गहरा गया है। सरकार को सामाजिक सौहार्द बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए। श्री यादव ने कहा कि भीमा-कोरेगांव में 200 वर्षों से दलित समुदाय द्वारा 1 जनवरी को शौर्य दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है। महाराष्ट्र में पेशवा राज में दलितों के खिलाफ अमानवीय अत्याचार होता था। इस कारण जब 1818 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी से पेशवा की सेना पराजित हुई थी तो वहां के दलितों ने 1 जनवरी, 1818 को शौर्य दिवस मनाया था और यह तब से ही परंपरा चली आ रही है। लेकिन इस बार शौर्य दिवस का कुछ जातियों ने विरोध किया। इसके खिलाफ दलित भी सड़क पर आ गये और स्थिति भयावह हो गयी। भीमा-कोरेगांव की घटना का महाराष्ट्र समेत पूरे देश में असर देखा जा रहा है। सांसद ने कोरेगांव की घटना की जांच सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से करवाने की मांग की। साथ ही इस मुद्दे पर लोकसभा में विशेष चर्चा की मांग भी की।
श्री यादव ने कहा कि भारत के प्राचीन स्मारक और पुरातत्व का संबंध सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थलों से जुड़ा रहा है। इस कारण इस संबंध में कोई भी नीति बनाने से पहले ऐतिहासिक महत्व को भी समझना जरूरी है। इस संबंध में संसद में लाये गये विधेयक की चर्चा करते हुए सांसद ने कहा कि सरकार ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की जगहों के विकास के लिए जो मानदंड तय कर रही है, वह है कि इन जगहों के 100 मीटर के दायरे में विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकास के दायरे को 200 मीटर तक कर देना चाहिए। विकास के दौर में स्थानीय लोगों के हितों को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। सांस्कृतिक धरोहर और पौराणिक इतिहास के बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है।