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झारखंड
मैंने कुछ भी अश्लील नहीं लिखा है : सोवेन्द्र शेखर
By Deshwani | Publish Date: 5/8/2017 12:03:38 PM
मैंने कुछ भी अश्लील नहीं लिखा है : सोवेन्द्र शेखर

पाकुड़, (हि.स.)। डाॅक्टर हांसदा सोवेन्द्र शेखर ने अपनी उपन्यास 'द आदिवासी विल नाॅट डांस ' की एक कहानी 'नवंबर इज द मंथ ऑफ माइग्रेशन ' के पृष्ठ संख्या 39- 42 में कथित तौर पर अश्लील शब्दों के प्रयोग के आरोप को गलत करार दिया है । उन्होंने कहा कि कहानी में प्रयुक्त शब्दों को अश्लील कहना सरासर गलत है । मुझे नहीं लगता है कि मैंने कोई अश्लील अथवा आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया है । संभवतः लोग मेरे लेखन का भाव अथवा औचित्य नहीं समझ पाए हैं । इसलिए विरोध कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि पेशे से सरकारी डॉक्टर हांसदा सोवेन्द्र शेखर एक लेखक भी हैं । वे अंग्रेजी में लिखा करते हैं । उनको उपन्यास 'द मिस्टीरियस एलिमेंट ऑफ रूपी बास्की ' के लिए साहित्य अकादमी ने वर्ष 2015 में युवा लेखक पुरस्कार से नवाजा था । अश्लीलता परोसने के आरोप में उक्त उपन्यास को भी न सिर्फ प्रतिबंधित करने की आवाज उठाई गई थी बल्कि साहित्य अकादमी को पत्र लिखकर उसके निर्णय पर भी सवाल खड़े करते हुए पुरस्कार वापस लेने की मांग भी की गई है। 
विरोध करने वाले आदिवासी यूथ एंड स्टूडेंट यूनियनके केंद्रीय अध्यक्ष मार्क बास्की के मुताबिक डाॅक्टर हांसदा संथाल समाज का होकर भी आदिवासी समाज के जीवन मूल्यों और इसके गौरवशाली इतिहास को ही न सिर्फ झूठला रहे हैं उसकी सांस्कृतिक परंपराओं की भी उपेक्षा कर रहे हैं । वहीं संथाली साहित्यकार जाॅन जंतु सोरेन ने कहा कि संथाल समाज में वेश्यावृत्ति अथवा शारीरिक शोषण की कोई परंपरा नहीं रही है । यह बात दीगर है कि आज बाहरी प्रभाव के चलते हमारे बीच की भी कुछेक महिलाएं भटक गई होंगी । उस भटकाव को साहित्य के नाम पर अश्लील शब्दों में चित्रित करने को कोई कैसे सही ठहरा सकता है । 
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