ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
नेपाल
नेपाल में बेबस हैं रोहिंग्या मुसलमान
By Deshwani | Publish Date: 26/2/2017 6:28:05 PM
नेपाल में बेबस हैं रोहिंग्या मुसलमान

काठमांडू। यहां की झुग्गियों में वर्षों से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की दशा काफी दयनीय है। वे आर्थिक रूप से इतने परेशान हैं कि स्वदेश लौटना चाहते हैं। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। उल्लेखनीय है कि सरकारी उत्पीड़न के डर से सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार से नेपाल का रुख किया था। नेपाल सरकार के एक अधिकारी के की मानें तो करीब 200 रोहिंग्या मुस्लिम परिवार काठमांडू की झुग्गियों में गुजर बसर कर रहे हैं। इन लोगों की हालत इतनी खराब है कि अगर अंतर्राष्ट्रीय मदद और उनकी सुरक्षा की गारंटी मिले तो वे स्वदेश लौटने को इच्छुक हैं। लेकिन म्यांमार में हालात सामान्य नहीं है और अब भी वहां से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम पलायन कर रहे हैं।
 रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के एक सदस्य आमिर हुसैन ने बीबीसी से कहा, "हमारे समुदाय पर बौद्ध चरमपंथियों ने हमला किया था। कई लोग बुरी तरह घायल हुए थे। कुछ लोगों की मौत मेरी आंखों के सामने हुई थी। तब मैंने गांव छोड़ने का फैसला किया था। हम भूखे प्यासे बांग्लादेश पहुंचे, लेकिन हमें वहां भी रहने नहीं दिया गया। 
 रोहिंग्या मुसलमानों का कहना है कि वे यहां रहने की जगह का किराया 700 डॉलर देते हैं जो हर साल दस प्रतिशत बढ़ जाता है। विदित हो कि नेपाल केवल तिब्बत और भूटान के लोगों को ही शरणार्थी मानता है और दूसरे देशों के लोगों को अवैध अप्रवासी मानता है। लेकिन नेपाल में ईरान, इराक, बांग्लादेश, श्रीलंका और यूक्रेन के लोग भी गैर कानूनी ढंग से रहते हैं। इस संबंध में गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि कोश्यारी निरूला ने कहा कि नेपाल में हर शरणार्थी के लिए भोजन और आवास की सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं है। आमिर हुसैन ने कहा कि अगर यूएनयचसीआर से वित्तीय मदद और सुरक्षा की गारंटी मिले तो वे और उनके समुदाय के कई स्वदेश लौटना पसंद करेंगे।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS