नई दिल्ली। सबसे ज्यादा वक्त तक सेवा में रहने वाला आइएनएस विराट अपने आखिरी सफर पर मुंबई से गुजरात के अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड के लिए आज यानी शनिवार को रवाना होगा। अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप ने इस ऐतिहासिक लड़ाकू विमानवाहक पोत को 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपने नाम किया। यह इकलौता लड़ाकू विमान वाहक पोत है, जिसने ब्रिटेन और भारत की नौसेना में सेवाएं दी हैं। आइएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दुनिया के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले युद्धपोत के रूप में दर्ज है।
आइए जानते हैं इसके स्वर्णिम सफर के बारे में
विराट सेंटोर श्रेणी का लड़ाकू विमान वाहक पोत है। 226 मीटर लंबे और 49 मीटर चौड़े इस युद्धपोत का वजन 27,800 टन है। 1984 में भारत ने इसे खरीदा और मई 1987 में इसे भारतीय नौसेना में आइएनएस विराट नाम से शामिल किया गया। यहां इसकी आइएनएस विक्रांत के साथ जोड़ी बनी। 1997 में विक्रांत की सेवानिवृत्ति के बाद करीब 20 साल यह अकेले ही भारत की समुद्री सीमाओं का प्रहरी बना रहा। मार्च 2017 में इसे सेवा मुक्त कर दिया गया।
भारत से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस र्हिमस के रूप में 25 साल अपनी सेवाएं दे चुका था। ब्रिटेन की रॉयल नेवी का हिस्सा रहने के दौरान प्रिंस चाल्र्स ने इसी पोत पर नौसेना अधिकारी की अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी। फॉकलैंड युद्ध में ब्रिटिश नेवी की तरफ से इस पोत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विराट ने देश के लिए कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रिटेन की रॉयल नेवी के साथ इसने फॉकलैंड युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जुलाई 1989 में श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन ज्यूपिटर में हिस्सा लिया। 2001 के संसद हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में अहम भूमिका निभाई।
भारतीय ध्वज के तले विराट से विभिन्न विमानों ने उड़ान भरी है। 22,622 उड़ान घंटों का साक्षी रहा है। तीन दशक में आइएनएस विराट ने 2,252 दिन समुद्र में बिताए हैं। इस दौरान 5.88 लाख नॉटिकल मील (10.94 लाख नॉटिकल किमी) की दूरी तय की।