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चीन की गलतियों का परिणाम आज सम्पूर्ण यूरोप भुगत रहा है : सुमित शशांक
By Deshwani | Publish Date: 13/4/2020 11:24:48 AM
चीन की गलतियों का परिणाम आज सम्पूर्ण यूरोप भुगत रहा है : सुमित शशांक

आज विश्व के सबसे बड़े ताकतवर राष्ट्र अमेरिका के द्वारा डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कई माह से वैश्विक स्तर पर अपना मुंह बंद किए हुए इंटरनेशनल मीडिया ने जब डब्ल्यूएचओ की भूमिका को समझने में लंबा अरसा बीता दिया तब देशवाणी न्यूज के माध्यम से इस विषय पर वैश्विक संबंधों के विशेषज्ञ सुमित शशांक ने सर्वप्रथम ध्यान आकर्षित करवाया। सुमित सिविल सेवा प्रशिक्षक व राष्ट्रीय युवा भाजपा नेता भी हैं।

 

 

सुमित शशांक ने हमसे बातचित के दौरान डब्ल्यूएचओ की भूमिका को संदिग्ध बताया था। सुमित ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की नकारात्मक कार्यप्रणाली ने कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी में बदलने दिया। चीन द्वारा यह ज्ञात होने के पश्चात की बीमारी नवंबर माह में ही वुहान शहर में फैल गई थी, वैश्विक रूप से नकारात्मक छवि प्रदर्शित होने के डर से घबराए चीन ने डब्ल्यूएचओ को इसकी जानकारी दिसंबर माह में प्रदान की। इसके बाद डब्ल्यूएचओ के ट्विटर हैंडल से जारी की गई सबसे विवादास्पद ट्वीट जिसमें यह बताया गया कि यह बीमारी ह्यूमन टू ह्यूमन नहीं फैलती, जिसने बीमारी के प्रति पूरे विश्व को निश्चिंत कर दिया। ज्ञात हो कि डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉक्टर  ट्रेडर्स इथोपिया जैसे गरीब राष्ट्र के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं तथा इथोपिया चीन की महत्वाकांक्षी ओ बी ओ आर प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसके तहत चीन द्वारा इथोपिया में महत्वपूर्ण निवेश किए जा रहे हैं। इन्हीं फायदों को देखते हुए डॉक्टर ट्रेडर्स की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह अंकित किए जा रहे हैं।


यूरोप तथा कोविड 19 

चीन तथा यूरोप दोनों ही स्थान पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जब कोरोना वायरस संबंधी जानकारी यूरोप के राष्ट्रों तक पहुंचे तब लोगों ने चीनी लोगों से दूरियां बना ली। जिसके बाद चीनी मूल के लोगों ने नक्सलिय भेदभाव का आरोप लगाया। जिसके कारण यूरोप के कुछ राष्ट्र जैसे स्पेन, इटली आदि राष्ट्रों में नक्सलीय भेदभाव के खिलाफ चीनी लोगों को गले लगाने की मुहिम छेड़ी गई। उस समय कोरोना वायरस संबंधी जानकारी चीन के सरकार को होने के बाद भी चीनी प्रोपेगेंडा के तहत चीनी सरकार ने यूरोप के राष्ट्र को आगाह नहीं किया। जिसका गंभीर परिणाम आज इटली स्पेन तथा संपूर्ण यूरोप भुगत रहा है। कुछ विशेषज्ञ ने तो ऐसे चीनी प्रोपेगंडा के तहत डिमांड एंड सप्लाई तथा सहानुभूति बटोरने का माध्यम बताया।


विश्व गुरु की भूमिका में भारत

आज जब पूरा विश्व कोरोना रूपी वैश्विक महासंकट की चुनौतियों का सामना कर रहा है। जब यूरोप तथा अमेरिका जैसी महाशक्ति ने इस वैश्विक महा संकट के आगे घुटने टेक दिए हैं। वहीं भारत अपनी दूरदर्शिता तथा 130 करोड़ नागरिकों के आत्मबल की एकजुटता को प्रदर्शित कर पूरे विश्व को इस वैश्विक महामारी से लड़ने हेतु प्रेरणादाई भूमिका में खड़ा है।

Operation Sanjeevani
जहां एक तरफ आवश्यक दवाइयों की कमी भारत में ना हो इसका ख्याल रखते हुए भारत सरकार ने विगत 24 मार्च को दवाइयों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। वहीं भारत में मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सर्वप्रथम तो हिंद महासागर में बसे अपने पड़ोसी, मालद्वीप को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की गई। अपने कुछ और पड़ोसी जैसे नेपाल तथा श्रीलंका आदि राष्ट्र को भी आवश्यक औषधियों की सहायता की गई। तथा देश के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सार्क देशों के राष्ट्र अध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक महत्वपूर्ण बैठक कर सभी सार्क देशों को आवश्यक दवाओं की पूर्ति का आश्वासन भी दिया। अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र ने भी भारत से Hydroxychloroquine दवा की मांग की।

 
ऐसे में भारतीय दवा कंपनियों की एक और उपलब्धि सामने आई जिसमें दवा कंपनियों ने बताया कि आवश्यकता अनुसार 2 करोड़ Hydroxychloroquine टैबलेट्स बनाने की वे क्षमता रखते हैं। तथा आवश्यकता पड़ने पर इस क्षमता को प्रतिमाह 5 करोड़ टेबलेट तक किया जा सकता है। लेकिन इन सब के बाद  जहां देश की 130 करोड़ जनता ने अपने प्रधानमंत्री के आवाहन पर दीप जलाकर पूरे विश्व के अंदर  कभी ना हार मानने वाली एक चेतना को अंतर प्रवाहित किया, वहीं कुछ लोगों ने जागरूकता के अभाववश राष्ट्रीय सुरक्षा  तथा सामाजिक सुरक्षा को ताक पर रख प्रदर्शित कर दिया कि केंद्र सरकार को कहीं न कहीं कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
 
 
 
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