जम्मू कश्मीर के लिए लिया गया बड़ा फैसला, अब एससी, एसटी, पिछड़े व अति पिछड़े वर्ग को मिलेगा आरक्षण
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए एक और बड़ा फैसला लिया गया। आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए लिया गया। यह फैसला ऐतिहासिक माना जा रहा है। इससे पहली सरकारें वाल्मीकि समाज के लोगों को सिर्फ सफाई के काम करने को मजबूर कर दिया था, चाहे वे उन्होंने पीजी की डिग्री क्यों न हासिल कर ली हो।
प्रशासनिक परिषद बैठक में कश्मीर सरकार ने आरक्षण को मंजूरी दे दी। एससी एसटी सहित दूसरे वर्गों को नौकरियों और उच्च शिक्षा में आरक्षण का फायदा मिलेगा। बता दें कि यहां पर पहले की सरकारें करीब ढाई लाख परिवारों को सिर्फ सफाई का काम करने को मजबूर कर दी थी। 370 व 35 के हटने के बाद ही केन्द्र सरकार ऐसे कल्याणकारी फैसला ले सकी है।
नए फैसले के मुताबिक :
एससी - 8%
एसटी - 10%
ओएससी - 4%
आईबी / एएलसी - 4%
आरबीए - 10%
पहाड़ी - 4%
ईडब्ल्यूएस - 10%
पूर्व सैनिक - 6%
शारीरिक रूप से विकलांग - 4%
जम्मू-कश्मीर के एलजी, जी सी मुर्मू की अध्यक्षता में प्रशासनिक परिषद की बैठक हुई । इसमें जम्मू-कशमीर सरकार ने आरक्षण को मंजूरी दे दी है। इससे एससी एसटी सहित दूसरे वर्गों को नौकरियों और उच्च शिक्षा में आरक्षण का फायदा मिलेगा ।
जम्मू कश्मीर में भी आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण, कैबिनेट ने मंजूरी दी है। चिट फंड स्कीमों को विनियमित करने के मकसद से विधेयक को भी मंजूरी मिल गयी है। फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी भी कैबिनेट ने मंजूर किया है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या में 10 फीसदी इजाफा करने का प्रस्ताव भी कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है।
आर्थिक रूप से कमजोर को भी मिलेगा आरक्षण
अब जम्मू एवं कश्मीर में भी आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित विधेयक को मंजूरी मिली। आर्थिक रूप से पिछड़े वे लोग इस आरक्षण का लाभ ले सकेंगे जिनकी सालाना कमाई 8 लाख रुपये से कम है। देशभर में पहले ही सरकार ने 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया हुआ है।
जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों ने कैबिनेट के इस फैसले को लेकर खुशी जाहिर की है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से किसानों को भी एक बड़ी सौगात मिली है। कैबिनेट ने फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। इसके जरिए किसानों को सस्ते दामों पर पोटाश और फॉस्फोरस जैसे उर्वरक मिल सकेंगे। केंद्र इसके लिए इस साल करीब 23 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगा।
न्यायिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के मकसद से कैबिनेट ने उच्चतम न्यायालय में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इसके साथ ही मॉस्को में एक इसरो तकनीक संपर्क इकाई की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली है।
चिट फंड स्कीमों को विनियमित करने के मकसद से एक अहम विधेयक को भी कैबिनेट ने मंजूर किया है। खासतौर से चिट फंड योजनाओं में निवेश करनेवाले लोगों के हितों की रक्षा इस विधेयक के जरिए हो सकेगी।