मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: फैसला टला, दोषियों को अब 12 दिसंबर को सुनाई जा सकती है सजा
-वकीलों की हड़ताल की वजह से पुलिस कैदियों को जेल वैन से कोर्ट में पेश नहीं कर सकी
नई दिल्ली। बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में फैसला आज टल गया है। इस बाबत अब अदालत 12 दिसम्बर को फैसला सुनाएगी। पिछले 30 सितम्बर को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा था कि नाबालिग पीड़ितों के बयानों से साफ है कि सभी 21 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। अभियुक्तों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने निष्पक्ष जांच नहीं की है। सभी केस भ्रमपूर्ण हैं। न कोई घटना की तिथि है और न ही समय और स्थान। आरोपियों की तरफ से कहा गया था कि सभी पीड़ितों ने पहली बार कोर्ट में ही बयान दिया। कोर्ट के पहले पीड़ितों ने पुलिस या मजिस्ट्रेट या सीबीआई को कोई बयान नहीं दिया।
इस मामले में साकेत कोर्ट ने पिछले 25 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 7 फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए। पिछले 30 मार्च को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। कोर्ट ने आरोपियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉस्को एक्ट की धारा 3, 5 और 6 के सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों को आरोपित बनाया गया है।
इस मामले में जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है उनमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता प्रवीण ऊर्फ मधु, मोहम्मद साहिल ऊर्फ विक्की, मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह, अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं। एनजीओ के माध्यम से सरकार के पैसों का बंदरबांट कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने वाला मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर फिलहाल पंजाब के पटियाला जेल में बंद है।