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चांद पर हो रही है 'शाम', इसरो की विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद अब लगभग खत्म
By Deshwani | Publish Date: 16/9/2019 4:55:06 PM
चांद पर हो रही है 'शाम', इसरो की विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद अब लगभग खत्म

नई दिल्ली। चंद्रमा की सतह पर आज से शाम होने का धुंधलका छाने लगा है और 20 या 21 सितम्बर को चांद पर रात हो जाएगी। चांद पर रात होते ही विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की चल रही इसरो की कोशिशें भी ख़त्म हो जाएंगी। चंद्रमा की सतह पर सूरज की रोशनी वाला समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी चांद पर 15 दिन उजाला और 15 दिन अंधेरा रहता है। 
 
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिक अभी भी मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में लगे हैं। इसरो की मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया का गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए हैं। इन तीन जगहों पर लगे ताकतवर एंटीना से चंद्रमा की कक्षा का चक्कर लगा रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क हो रहा है लेकिन विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं आ रहा है। नासा ने विक्रम लैंडर को 'हेलो' सन्देश भेजा था जिसका भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
 
इसरो द्वारा तय किये गए समय पर 07 सितम्बर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी। जिस समय वह चांद की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर था, तभी इसरो के बेंगलुरु स्थित कमांड सेंटर से लैंडर का संपर्क टूट गया। बाद में पता चला कि अपनी दिशा से भटकने के कारण विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई और वह चांद की सतह से टकरा गया। 
 
दो दिनों तक तो विक्रम लैंडर के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका लेकिन 09 सितम्बर को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने साफ़ किया कि चंद्रमा पर उतरने से ठीक पहले लैंडर विक्रम से संपर्क जरूर टूटा है लेकिन उसमें कोई टूट-फूट नहीं हुई है। इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर ने एक तस्वीर भेजी है, जिसके अनुसार लैंडर विक्रम एक ही टुकड़े के रूप में दिखाई दे रहा है। अभी भी लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिशें की जा रही हैं। चंद्रयान-2 के साथ तमाम तरह के अनुसंधान करने का मिशन देकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 14 दिन के लिए ही भेजा गया था।
 
इस एक पखवाड़े में मिशन पूरा करके इन्हें चांद की सतह पर ही निष्क्रिय हो जाना था। यानी जितने दिन विक्रम लैंडर को चांद पर सक्रिय रहना था, उतने दिन वहां उजाला ही रहना था लेकिन हार्ड लैंडिंग की वजह से उलटे गिरे विक्रम लैंडर को इस बीच न ही सीधा किया जा सका और न ही उससे नासा या इसरो का कोई संपर्क हो सका। एक तरह से देखा जाए तो 20-21 सितम्बर को चांद पर होने वाली रात के पहले शाम का वक्त आज सोमवार से शुरू हो चुका है। रात होने के 15 दिन बाद चंद्रमा पर फिर उजाला होगा लेकिन तब तक विक्रम लैंडर निष्क्रिय हो चुका होगा और इसी के साथ भारत का मिशन चंद्रयान-2 भी खत्म हो जाएगा।
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