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​भारत को पहला राफेल 8 अक्टूबर को मिलेगा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद लेने जाएंगे फ्रांस
By Deshwani | Publish Date: 10/9/2019 6:04:43 PM
​भारत को पहला राफेल 8 अक्टूबर को मिलेगा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद लेने जाएंगे फ्रांस

नई दिल्ली। विवादों में रहा फ्रांस का चर्चित लड़ाकू विमान राफेल जल्द ही भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने वाला है। हालांकि पहले से तय समय के अनुसार ​राफेल विमान की डिलीवरी दो हफ्ते लेट हुई ​​है। अब 8 अक्टूबर को पहला राफेल विमान लेने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद फ्रांस जाएंगे। पहले ये विमान भारत को 20 सितम्बर को मिलने वाले थे। भारतीय वायु सेना करगिल युद्ध के बाद से बंद पड़ी अपनी 'गोल्डन ऐरोज' 17 स्क्वाड्रन को अम्बाला में फिर से गठित करने की तैयारी कर रही है, जो राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली इकाई होगी। दरअसल राफेल विमान की तैनाती अभी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर ही किये जाने की योजना है।  
 
फ्रांस से 126 राफेल लड़ाकू विमान को खरीदने की डील केंद्र में यूपीए-2 की सरकार के दौरान शुरू हुई थी लेकिन 2014 में देश की सत्ता बदलने के बाद केंद्र में आई भाजपा सरकार ने नए सिरे से इस डील को शुरू करके फाइनल किया। भारत ने सितम्बर, 2016 में फ्रांस के साथ एक समझौता करते हुए 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीदे थे। वायुसेना की टीम पहले ही फ्रांस का दौरा कर चुकी है। 
 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहला राफेल विमान लेने के लिए वायुसेना के फाइटर पायलटों की टीम के साथ 8 अक्टूबर को फ्रांस के बॉर्डेक्स में एक मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में जाएंगे। इसी दिन वायुसेना दिवस और विजयादशमी का भी पर्व है। विजयादशमी के दिन भारत में कई जगह शस्त्रों की पूजा करने का रिवाज है। संभवतः इसीलिए भारत ने इसी दिन सबसे बड़ा लड़ाकू हथियार लेने की तारीख तय की है। भारतीय वायुसेना ने भी राफेल लड़ाकू विमान को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए वायुसेना अम्बाला में अपनी ‘गोल्डन ऐरोज’ 17 स्क्वाड्रन फिर शुरू करेगी, जो बहुप्रतिक्षित राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली इकाई होगी। राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा केंद्र में तैनात होगी। 
 
राफेल विमान के पहले दस्ते को अंबाला वायु सेना केंद्र में तैनात किया जाएगा, जिसे वायु सेना के रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में गिना जाता है, क्योंकि यहां से भारत-पाक सीमा करीब 220 किलोमीटर है। स्क्वाड्रन की शुरुआत को राफेल विमान के देश में आने पर रिसीव करने की तैयारी माना जा रहा है। इस स्क्वाड्रन की स्थापना 1951 में की गयी थी और शुरू में इसने हैविलैंड वैंपायर एफ एमके 52 लड़ाकू विमानों की उड़ानों को संचालित किया था। 
 
मौजूदा वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ ने ही करगिल युद्ध के समय 1999 में  'गोल्डन ऐरोज' 17 स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी। बठिंडा वायु सेना केंद्र से संचालित इस स्क्वाड्रन को 2016 में बंद कर दिया गया था। तब वायु सेना ने रूस निर्मित मिग 21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शुरू किया था। वायु सेना ने राफेल का स्वागत करने के लिए जरूरी ढांचा तैयार करने और पायलटों के प्रशिक्षण देने समेत सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है। 
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