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आईएनएक्स मीडिया मामला: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 14 दिन के लिए भेजे गए तिहाड़ जेल
By Deshwani | Publish Date: 5/9/2019 6:29:11 PM
आईएनएक्स मीडिया मामला: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 14 दिन के लिए भेजे गए तिहाड़ जेल

नई दिल्ली। आईएनएक्स मीडिया डील मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पी चिदंबरम को 14 दिन यानी 19 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। चिदंबरम की सीबीआई हिरासत आज खत्म हो रही थी। उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया तो चिदंबरम ने याचिका दायर कर कोर्ट से मांग की कि उन्हें जेल के अंदर दवा, और जेड सिक्योरिटी की सुरक्षा दी जाए। साथ ही उन्हें अलग सेल में रखा जाए। कोर्ट ने इसे मंजूर कर लिया।

 
सॉलिसिटर तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि चिंदबरम को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। कोर्ट की ओर से न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश देने के बाद चिदंबरम ने अंतरिम जमानत की याचिका वापस ले ली। उल्लेखनीय है कि चिदंबरम ने ईडी मामले में सरेंडर करने के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने ईडी को 12 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सरेंडर करने के लिए दायर याचिका पर 12 सितंबर को सुनवाई होगी।
 
गुरुवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के मामले में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। चिदंबरम ने सीबीआई हिरासत के खिलाफ दायर याचिका भी वापस ले लिया है। ऐसे में रिमांड को चुनौती देनेवाली याचिका की सुनवाई के दौरान सभी अंतरिम आदेश निरस्त हो चुके हैं। उन्होंने सीबीआई की ओर से चिदंबरम की न्यायिक हिरासत की मांग की, लेकिन चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायिक हिरासत की मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा कि चिदंबरम के खिलाफ कुछ भी नहीं पाया गया है। कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
 
सिब्बल ने कहा कि वे कहते हैं कि मैं ताकतवर और गवाहों को प्रभावित कर सकता हूं लेकिन उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। क्या किसी गवाह ने ऐसा कहा है। साक्ष्यों से छेड़छाड़ का कोई मतलब ही नहीं है। सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम ईडी की हिरासत में जाने को तैयार हैं। हमें सरेंडर करने दीजिए और हमें ईडी की हिरासत में भेज दीजिए। हमें न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जाना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई की याचिका में कोई तथ्य नहीं है। आपको हमें न्यायिक हिरासत में भेजने की क्या जरूरत है।
 
तुषार मेहता ने कहा कि आप पहले यह साफ करिए कि आप किस बात की दलील रख रहे हैं। अगर आप जमानत की मांग कर रहे हैं तो मैं दलीलें रखूंगा। सिब्बल ने कहा कि हम छोड़ने की मांग कर रहे हैं। सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला पढ़ा जिसमें कहा गया है कि जांच एजेंसी को साक्ष्यों से छेड़छाड़ का सबूत देने की जरूरत है। हिरासत कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। जांच एजेंसी को न्यायिक हिरासत के लिए वजह होनी चाहिए।
 
मेहता ने कहा कि कोर्ट एक गंभीर अपराध को देख रहा है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दो-दो बार चिदंबरम को कोई राहत देने से इनकार किया है। जब मैं जमानत पर दलीलें रखूंगा तब बताऊंगा कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की क्या संभावना है। उन्होंने कहा कि हमने दूसरे देशों के बैंकों से सूचना हासिल करने के लिए कई देशों को आग्रह पत्र भेजा है। मेहता ने कहा कि पहले उन्हें जमानत याचिका दाखिल करने दीजिए। उन्होंने एक गवाह का बयान कोर्ट को बताया, जिसमें गवाहों को प्रभावित करने की आशंका जताई गई है। सिब्बल ने कहा कि ये कोई कानून सम्मत बात नहीं है कि पुलिस हिरासत के बाद न्यायिक हिरासत में भेजा जाए।
 
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