भारत और रूस के बीच 15 समझौते पर हुए हस्ताक्षर, दोनों देशों ने आपसी सहयोग का लिया संकल्प
नई दिल्ली। भारत और रूस ने अपनी रणनीतिक साझीदारी एवं परस्पर विश्वास को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के संकल्प के साथ 15 करारों पर आज हस्ताक्षर किये और दोनों देशों के बीच ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को विस्तार देने की रूपरेखा तय की।
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि पिछली बैठक में हमने जो फैसला लिए थे, उसकी आज समीक्षा की। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता निवेश और व्यापार है, दोनों के व्यापार में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मुझे विश्वास है कि दोनों देश कई और मोर्चे पर साथ आगे बढ़ेंगे।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि आज सुरक्षा, व्यापार और ऊर्जा में समझौते हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत की कंपनियों का रूस में स्वागत करना चाहते हैं। भारत और रूस के बीच हथियारों को लेकर काफी अच्छे संबंध हैं, हम भारत में मिसाइल सिस्टम और रायफल बनाने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि सामरिक तौर पर दोनों देशों का इतिहास काफी पुराना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 20वीं भारत रूस वार्षिक शिखर बैठक में इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। इनमें भारत में सोवियत संघ अथवा रूस के सैन्य उपकरणों एवं हथियारों के कलपुर्ज़ों के निर्माण, रक्षा एवं प्रतिरक्षा, अंतरिक्ष, चेन्नई से व्लादिवोस्टक के बीच समुद्री संपर्क स्थापित करने तथा प्राकृतिक गैस के बारे में समझौते शामिल हैं।
अपने संयुक्त प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,“ हमारी विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी न सिर्फ हमारे देशों के सामरिक हितों के काम आयी है बल्कि इसे हमने लोगों के विकास और उनके सीधे फायदे से जोड़ा है। राष्ट्रपति पुतिन और मैं इस रिश्ते को विश्वास और भागीदारी के ज़रिये सहयोग की नयी ऊंचाइयों तक ले गए हैं और इसकी उपलब्धियों में सिर्फ मात्रात्मक ही नहीं, गुणात्मक बदलाव लाये हैं।
उन्होंने कहा कि हमने सहयोग को सरकारी दायरे से बाहर लाकर उसमें लोगों की, और निजी उद्योगों की असीम ऊर्जा को जोड़ा है। रक्षा एवं सामरिक क्षेत्र में भी रूसी उपकरणों के कलपुर्ज़े भारत में दोनों देशों के संयुक्त उद्यम द्वारा बनाने पर आज हुआ समझौता रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा। यह समझौता और इस साल के शुरू में ए के-203 राइफलों के विनिर्माण का संयुक्त उद्यम ऐसे कदम हैं जो हमारे रक्षा सहयोग को क्रेता-विक्रेता के सीमित परिवेश से बाहर सह विनिर्माण का ठोस आधार दे रहे हैं।
मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच हाइड्रो कार्बन के क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश है। इस क्षेत्र में सहयोग के लिए पांच साल का रोडमैप और रूस के सुदूर पूर्व तथा आर्कटिक में हाइड्रो कार्बन और एलएनजी की खोज में सहयोग पर सहमति हुई है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में हमारा लंबा सहयोग नयी ऊंचाइयों को छू रहा है। गगनयान, यानी भारतीय मानव सहित उड़ान में भारत के अंतरिक्ष यात्री रूस में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। आपसी निवेश की पूरी क्षमता को हासिल करने के लिए हम जल्द ही निवेश सुरक्षा समझौता करने पर सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युग में शान्ति और स्थायित्व के लिए बहुध्रुवीय विश्व आवश्यक है और इसके निर्माण में हमारे सहयोग और समन्वय की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। इसीलिए, हम सहजता से ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और अन्य वैश्विक मंचों पर घनिष्ठ सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि आज हमने बहुत से प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमेशा की तरह खुल कर और सार्थक चर्चा की।
उन्हाेंने कहा कि भारत एक ऐसा अफगानिस्तान देखना चाहता है जो स्वतंत्र, सुरक्षित, अखंड, शांत और लोकतांत्रिक हो। हम दोनों ही किसी भी देश के आतंरिक मामलों में बाहरी दखल के खिलाफ हैं। हमने भारत के स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिन्द प्रशांत के अवधारणा पर भी उपयोगी चर्चा की। हम सहमत हैं कि साइबर सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत और रूस का सहयोग और मज़बूत करेंगे। अगले साल भारत और रूस मिल कर बाघ संरक्षण पर उच्च स्तरीय फोरम का आयोजन करने के लिए सहमत हुए हैं।
गौरतलब है कि आज दोनों देशों के बीच भारत और रूस के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इनमें डिफेंस-व्यापार-टूरिज्म-ऊर्जा से जुड़े क्षेत्र अहम रहे।