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जेपी की अधूरी परियोजना पर उच्चतम न्यायालय ने जानना चाहा एनबीसीसी का रुख, दो दिन में जवाब देने का दिया निर्देश
By Deshwani | Publish Date: 3/9/2019 4:09:57 PM
जेपी की अधूरी परियोजना पर उच्चतम न्यायालय ने जानना चाहा एनबीसीसी का रुख, दो दिन में जवाब देने का दिया निर्देश

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली परियोजना के बाद अब जेपी परियोजना पूरी करने की ज़िम्मेदारी भी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को सौंपने का मन बनाया है। जेपी समूह के फ्लैट खरीददारों की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन को नोटिस जारी कर पूछा कि क्या वो प्रोजेक्ट पूरे करने पर कोई बेहतर योजना पेश करना चाहता है। कोर्ट ने एनबीसीसी से दो दिन में जवाब देने का निर्देश दिया।

 
आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर एनबीसीसी इन प्रोजेक्ट को हाथ में ले तो हम जेपी इंफ्राटेक पर बकाया सैकड़ों करोड़ के टैक्स में रियायत दे सकते हैं। जेपी समूह ने कहा कि उसे अपने समूह को पुनर्जीवित करने का एक मौका मिलना चाहिए। वह सभी बैंकों के कर्ज चुकाकर तीन वर्षों में सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा करना चाहता है। तब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पहले वह एनबीसीसी के विकल्प पर विचार करना चाहते हैं।
 
पिछले 18 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो फ्लैट खरीददारों के पक्ष में जल्द फैसला लें। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने जल्द ही फ्लैट खरीददारों पर फैसला लेने की बात कही थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हम फ्लैट खरीददारों के पक्ष में काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि चूंकि मामला एनसीएलटी में लंबित है, इसलिए एनसीएलटी में फैसला आ जाने के बाद ही हम इस मामले में निर्णय ले लेंगे। पिछले नौ जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे फ्लैट खरीदारों के हित में प्रस्ताव बनाएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि ऐसा प्रस्ताव लाए जिससे कि बायर्स की समस्या का समाधान हो।
 
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि पैसे देने के बावजूद फ्लैट नहीं मिल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि हम दिवालिया कानून के दायरे में कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन आप इस दायरे से बाह कुछ सुझाव लेकर आएं, हम उस पर विचार करेंगे।
 
दरअसल सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि जेपी समूह को दिवालिया प्रक्रिया की समय-सीमा खत्म होने के बावजूद उसे परिसमापन के लिए न भेजा जाए क्योंकि इससे फ्लैट खरीददारों को काफी नुकसान होगा। अगर जेपी को दिवालिया घोषित किया जाता है तो सबसे पहले बैंक अपना पैसा वापस लेंगे और फ्लैट खरीददारों को कुछ नहीं मिलेगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या आप इससे अलग कोई सुझाव दे सकते हैं, हम आपके सुझाव पर विचार करेंगे। नीतिगत मुद्दे केंद्र सरकार ही सुलझा सकती है।
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