ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
चिदंबरम को ईडी की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत, अब सुप्रीम कोर्ट 5 को सुनाएगा फैसला
By Deshwani | Publish Date: 29/8/2019 6:22:23 PM
चिदंबरम को ईडी की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत, अब सुप्रीम कोर्ट 5 को सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत को 5 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। साथ ही ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ चिदंबरम की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। अब सुप्रीम कोर्ट 5 सितंबर को मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा।
 
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जांच को कैसे बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से जांच एजेंसी का अधिकार है। केस के लिहाज से एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए, किन को नहीं। मेहता ने कहा कि अगर गिरफ्तार करने से पहले (अग्रिम ज़मानत की स्टेज पर) ही सारे सबूतों, गवाहों को आरोपित के सामने रख दिया जाएगा तो ये तो आरोपित को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा। तुषार मेहता ने कहा कि इस केस में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है। ऐसे मामलों में सज़ा का प्रावधान चाहे कुछ भी हो, कोर्ट हमेशा आर्थिक अपराध को गम्भीर अपराध मानता रहा है। 
 
दरअसल कपिल सिब्बल ने 28 अगस्त को अपनी दलील में कहा था कि सात साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को सीआरपीसी के मुताबिक कम गम्भीर माना जाता है । तुषार मेहता ने कहा कि कोई अपराध कितना गम्भीर है, उसकी कसौटी केवल उस अपराध के लिए नियत सज़ा की अवधि नहीं हो सकती। मायने ये रखता है कि उस अपराध का समाज और देश पर क्या असर हुआ। इस केस में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है।
 
मेहता ने कहा कि कोर्ट किसी मामले कि जांच नहीं कर सकता है। यह जांच एजेंसी द्वारा किया जाता है, जो तमाम आधारों को खोजकर कोर्ट के सामने पेश करती है। यह किसी साक्षात्कार या बातचीत जितना साधारण नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस मामले में जारी किया गया आदेश अन्य आतंकी फंडिंग मामलों को भी प्रभावित करेगा। मेहता ने कहा कि अभियोजन पक्ष का यह सिर्फ अधिकार नहीं बल्कि कर्तव्य भी है कि वह सत्य को सामने लाए। मौजूदा स्थिति में चिदंबरम उसी स्थान पर है, जिसमें ईडी के लिए उन्हें पकड़ना नामुमकिन हो जाएगा, अगर उन्हें संरक्षण मिलता है। 
 
तुषार मेहता ने कहा कि हमने आरोपित को विशेष अदालत के सामने पेश किया। अगर हमने आरोपित के साथ बुरा व्यवहार किया होता तो वो अदालत में अपनी बात रख सकता था। उन्होंने कहा कि 20 अगस्त के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में चिदंबरम के खिलाफ 'गंभीर' आरोप की बात कही गई है। मेहता ने कहा कि अग्रिम जमानत जांच की गति को कम कर सकती है।
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS