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अनुच्छेद 370 पर सीजेआई ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कहा- यह कैसी याचिका?, सुनवाई टली
By Deshwani | Publish Date: 16/8/2019 1:08:26 PM
अनुच्छेद 370 पर सीजेआई ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, कहा- यह कैसी याचिका?,  सुनवाई टली

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद राज्य में प्रतिबंध और कर्फ्यू हटाए जाने तथा संचार सेवा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई टाल दी है। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक याचिकाकर्ता और वकील मनोहर शर्मा को आज कड़ी फटकार लगाई, हालांकि उसने याचिका में त्रुटि संशोधन की उन्हें अनुमति दे दी। 

 

शर्मा और कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए जैसे ही आई, मुख्य न्यायाधीश ने शर्मा को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, यह किस तरह की याचिका है?आपकी दलील क्या है? इस तरह के मामलों में आप इस तरह की याचिका कैसे दायर कर सकते है? समझ नहीं आया कि आप क्या कहना चाहते हैं। खारिज कर देंगे तो दूसरे याचिकाकर्ताओं पर भी असर पड़ेगा। आप याचिका सुधार कर लाइये। सभी याचिकाओं को एक साथ सुना जाएगा।

 

कश्मीर में लैंडलाइन, मोबाइल, इंटरनेट बहाल करने, पत्रकारों को आने-जाने पर रोक-टोक न करने की मांग वाली अखबार कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार को हालात सामान्य बनाने का मौका मिलना चाहिए। अटार्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि रोज कश्मीर में स्थितियां बदल रही हैं। साथ ही सिक्योरिटी एजेंसी स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं जैसे ही जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होंगे वैसे ही तमाम प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।

 

पिछले 13 अगस्त को कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा था और कितने दिन जम्मू कश्मीर में पाबंदी रहने वाली है। अटार्नी जनरल ने कहा था कि सरकार पल-पल की परिस्थिति पर नजर रखे हुए है। 2016 में इसी तरह की स्थिति को सामान्य होने में तीन महीने का समय लगा था। सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द स्थिति पर काबू पाया जा सके।

 

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। आज ढील दी गई और वहां कुछ हो जाता है तो कौन जिम्मेदारी लेगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट प्रशासन के हर मामले मे हस्तक्षेप नही कर सकता।

 

सुप्रीम ने जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध हटाने के बारे मे तत्काल कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार रोजाना स्थिति का जायजा ले रही है और ऐसे में स्थिति सामान्य होने का इंतजार किया जाए। अगर ऐसा ही रहा तो आप बताइएगा हम तब मामले को देखेंगे। केंद्र सरकार ने कहा कि हम स्थिति का रोजाना रिव्यु कर रहे हैं और मानवाधिकार का कोई हनन नही हो रहा है।

 

अनुच्छेद 370 को लेकर पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं जिन लोगों ने याचिका दायर की है उनमें जम्मू कश्मीर से नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी, कश्मीर के वकील शाकिर शब्बीर, वकील मनोहर लाल शर्मा, दिल्ली में जामिया युनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट मोहम्मद अलीम और कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन शामिल हैं।

 

नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी ने राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा की सिफारिश के बिना अनुच्छेद 370 को बेअसर करने वाला संविधान संशोधन वैध नहीं है। कोर्ट इसे रद्द करार दे । वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति के आदेश के जरिये इसे निरस्त करना असंवैधानिक है। सरकार को इसे हटाने के लिए संसदीय रास्ता अख्तियार करना चाहिए थ।

 

कश्मीरी वकील शाकिर शब्बीर ने अपनी याचिका में कहा है कि धारा 367 में संशोधन कर जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया वह असंवैधानिक है। इसे केवल संसद ही कर सकती है। 

 

याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति का आदेश अनुच्छेद 370 (1) (डी) के तहत जारी किया गया था। 370(1)(डी) धारा 1, 238 और 370 पर लागू नहीं किया जा सकता है। इसलिए अनुच्छेद 370 (1) (डी) के तहत जारी राष्ट्रपति का आदेश ही असंवैधानिक था। अनुच्छेद 370 पर संशोधन संसद के जरिये की किया जा सकता है।

कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में पत्रकारों को बिना बाधा के रिपोर्टिंग के लिए व्यवस्था की जाए। याचिका में जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट, मोबाइल और फोटो जर्नलिस्ट और रिपोर्टर्स के मूवमेन्ट पर रोक को चुनौती दी गई है।

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