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अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी मिलेगा अधिकारों और सुविधाओं का लाभ: राष्ट्रपति कोविंद
By Deshwani | Publish Date: 15/8/2019 10:56:54 AM
अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी मिलेगा अधिकारों और सुविधाओं का लाभ: राष्ट्रपति कोविंद

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए बदलावों से वहां के नागरिक कई प्रकार से लाभांवित होंगे। इससे उन्हें अन्य राज्यों की तरह मिले अधिकारों व सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जिससे वह अभी तक वंचित रहे थे। राष्ट्र गुरुवार को अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। 

 
इसके एक दिन पूर्व बुधवार शाम राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से वहां के लोग भी अब दूसरे राज्यों की तरह अधिकारों और सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए हाल ही में किए गए बदलावों से वहां के लोग समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील क़ानूनों और प्रावधानों का उपयोग कर सकेंगे। ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून लागू होने से सभी बच्चों के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। 
 
उल्लेखनीय है कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विशेष प्रावधान के तौर पर लागू अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी और उसके तहत आने वाले अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया था। इससे अब संसद में बना हर कानून राज्य में स्वत: ही लागू हो जाएगा और वहां नागरिकता के नाम पर हो रहा भेदभाव समाप्त होगा।
 
राष्ट्रपति ने हाल ही में संपन्न हुए संसद सत्र को सफल बताते हुए आशा जताई कि आने वाले पांच वर्षों में भी संसद में इसी प्रकार कार्य होता रहेगा। उन्होंने राज्य विधानसभाओं को भी इसी कार्यसंस्कृति को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए, संसद और विधानसभाओं में, आदर्श कार्य-संस्कृति का उदाहरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। केवल इसलिए नहीं कि निर्वाचित सदस्य अपने मतदाताओं के विश्वास पर खरे उतरें। बल्‍कि इसलिए भी कि राष्ट्र-निर्माण के अभियान में हर संस्था और हितधारक को एक-जुट होकर काम करने की आवश्यकता होती है।’
 
उन्होंने कहा कि मतदाताओं व जन-प्रतिनिधियों, नागरिकों व सरकारों तथा सिविल सोसायटी व प्रशासन के बीच आदर्श साझेदारी से ही राष्ट्र-निर्माण का अभियान और मजबूत होगा। इसी क्रम में सरकार व जननेताओं को नागरिकों द्वारा मिले संकेतों को समझना चाहिए और उनका उचित सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रपति ने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि नागरिकों को चाहिए कि वह कैसे इनका लाभ उठा सकते हैं इसके प्रति जागरुक बनें।
 
राष्ट्रपति ने एक समावेशी समाज के निमार्ण पर बल देते हुए कहा कि लोगों को आपसी व्यवहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सहज, सरल और जीयो और जीने दो की सोच पर चलकर आपसी मतभेदों को मिटाने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मेल-जोल के साथ रहना, भाई-चारा निभाना, निरंतर सुधार करते रहना और समन्वय पर ज़ोर देना, हमारे इतिहास और विरासत का बुनियादी हिस्सा रहा है। हमारी नियति तथा भविष्य को संवारने में भी इनकी प्रमुख भूमिका रहेगी।’’
 
राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के प्रयास करने चाहिए। ऐसा कर वह जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभातें हैं और देशप्रेम प्रगट कर सवाधिनता की रक्षा करने जैसा काम करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा भी, स्वाधीनता की रक्षा से जुड़ी हुई है। हमारे जो कर्तव्यनिष्ठ नागरिक राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करते हैं वे देशप्रेम की उसी भावना और संकल्प का परिचय देते हैं, जिसका प्रदर्शन हमारे सशस्त्र बल, अर्धसैनिक बल और पुलिस बल के बहादुर जवान और सिपाही देश की कानून-व्यवस्था बनाए रखने व सीमाओं की रक्षा में करते हैं।’’
 
इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती आने वाली है। उन्होंने अन्याय के खिलाफ एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है और विकास और प्रकृति के बीच संतुलन का मार्ग सुझाया है। सरकार के काल्यणकारी कार्यक्रम जैसे सौर उर्जा का प्रयोग उन्ही की प्रेरणा है। गुरुनानक देव के 350वें प्रकाश उत्सव का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक का दिया मानवता का संदेश दुनिया में व्यापक प्रभाव रखता है।
 
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने भाषण के अंत में कहा कि महान कवि सुब्रह्मण्य भारती की कल्पना आज साकार होती दिखाई दे रही है। ‘उन्होंने कहा था कि मंदरम् कर्पोम्, विनय तंदरम् कर्पोम्, वानय अलप्पोम्, कडल मीनय अलप्पोम्। चंदिरअ मण्डलत्तु, इयल कण्डु तेलिवोम्,संदि, तेरुपेरुक्कुम् सात्तिरम् कर्पोम्॥ अर्थात हम शास्त्र और कार्य कुशलता दोनों सीखेंगे, हम आकाश और महासागर की सीमाएं नापेंगे। हम चंद्रमा की प्रकृति को गहराई से जानेंगे, हम सर्वत्र स्वच्छता रखने की कला सीखेंगे।’
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