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नहीं रहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
By Deshwani | Publish Date: 7/8/2019 10:55:32 AM
नहीं रहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। 67 वर्षीय सुषमा स्वराज को दिल का दौरा पड़ने पर मंगलवार की रात 9.35 बजे एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और सुषमा स्वराज ने करीब 10.50 बजे एम्स में आखिरी सांस ली। 

 
पिछले कुछ दिनों से सुषमा स्वराज की तबीयत ख़राब चल रही थी। साल 2016 में उनका गुर्दा भी प्रत्यारोपित कराया गया था। बीमारी की वजह से उन्होंने 17वीं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। एम्स में निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके दिल्ली स्थित आवास पर ले जाया गया है। उनके आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का आधी रात के वक्त भी तांता लगा हुआ है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एवं केंद्रीय मंत्री उनके घरों पर पहुंच रहे हैं। 
 
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के अनुसार आज पूर्वाह्न 12 बजे तक सुषमा स्वराज का पार्थिव शरीर उनके जंतर-मंतर स्थित घर पर रखा जाएगा। उसके बाद उनका पार्थिव शरीर भाजपा कार्यालय ले जाया जाएगा, जहां लोग दर्शन कर सकेंगे। अपराह्न तीन बजे लोदी रोड श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 
 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा तमाम भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों तथा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं राज्यपालों ने शोक व्यक्त किया है। 
 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गुलाम नबी आजाद ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है। गुलाम नबी आजाद ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आज मैंने अपनी बहन और एक कुशल राजनेता को खो दिया है। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि स्वराज ने देश के लिए जो योगदान दिया, उसके लिए वह हमेशा याद रखी जाएंगी। सुषमा जी एक असाधारण वक्ता और उत्कृष्ट सांसद थीं, प्रत्येक राजनीतिक दल के लोग उनकी तारीफ करते थे। भारतीय राजनीति के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया, भारत असाधारण नेता के निधन से दुखी है। 
 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता व संसदीय बोर्ड की सदस्य श्रीमती सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन से मन अत्यंत दुखी है। उन्होंने एक प्रखर वक्ता, एक आदर्श कार्यकर्ता, लोकप्रिय जनप्रतिनिधि व एक कर्मठ मंत्री जैसे विभिन्न रूपों में भारतीय राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। 
 
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सुषमा स्वराज जी के दुखद निधन से मुझे गहरा आघात लगा है। उन्होंने हमेशा मुझे बड़ी बहन का स्नेह दिया और संगठनात्मक सलाह देकर राजनीतिक अभिभावक का फ़र्ज़ निभाया। भारतीय राजनीति में मज़बूत विपक्षी और पूर्व विदेश मंत्री के तौर पर उनकी भूमिका को सदैव स्मरण किया जाएगा। उनके निधन से देश की, पार्टी की और व्यक्तिगत मेरी अपूर्तीय क्षति हुई है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। ॐ शांति। सुषमा स्वराज भाजपा की दिग्गज नेताओं में शुमार थीं। विपक्ष के नेता भी उनकी तारीफ किया करते थे। 
 
उनके अस्वस्थ होने की जानकारी मिलते ही भाजपा के कई दिग्गज नेता और मंत्री एम्स पहुंच गए थे, जिनमें नितिन गडकरी, डॉ हर्षवर्धन, राजनाथ सिंह और स्मृति ईरानी शामिल थीं। सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति का एक बहुत बड़ा चेहरा थीं। साल 2009 में वह भाजपा द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं। इस नाते वह भारत की पंद्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही थीं। इसके पहले भी वो केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी थीं। 
 
हरियाणा के अम्बाला छावनी में जन्मीं सुषमा स्वराज ने एसडी कॉलेज अम्बाला छावनी से बीए और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री हासिल की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वो सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में साल 2014 में वो भारत की पहली महिला विदेश मंत्री बनीं। नौ बार सांसद रहीं सुषमा स्वराज आम लोगों मे अत्यंत लोकप्रिय थीं। ट्वीटर पर एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोग उन्हें फॉलो करते थे। सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफी सक्रिय रहती थीं। विदेश मंत्री रहते हुए वे ट्वीटर पर शिकायत मिलते ही विदेश मंत्रालय से जुड़ीं पासपोर्ट आदि समस्याओं का समाधान कर देती थीं। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। 
 
सुषमा स्वराज 1977 में सबसे कम उम्र की राज्यमंत्री बनी थीं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहीं। अस्वस्थ होने के कारण ही उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। उनके इस निर्णय पर भाजपा के ही समर्थकों में हैरानी थी। कई लोगों ने उनसे चुनाव लड़ने की अपील की थी। तब इस पर सुषमा स्वराज ने जवाब दिया था, ‘मेरे चुनाव ना लड़ने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। नरेंद्र मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में हम सब जी जान लगा देंगे।’
 
16 वीं लोकसभा में वह मध्यप्रदेश के विदिशा से सांसद चुनी गई थीं। वहीं से वह 2009 का चुनाव भी जीती थीं। सुषमा स्वराज ने मंगलवार, 6 अगस्त को ही लोकसभा से जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पास होने पर मोदी सरकार को बधाई देते हुए अपने आखिरी ट्वीट में लिखा था, “प्रधानमंत्री जी आपका हार्दिक अभिनंदन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।” 
 
 इससे पहले सोमवार को राज्यसभा में उक्त संकल्प पत्र और बिल पारित होने पर सुषमा स्वराज ने गृह मंत्री अमित शाह को बधाई देते हुए लिखा था, ‘गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को उत्कृष्ट भाषण के लिए बहुत बहुत बधाई।’ इसके अलावा उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था, ‘राज्य सभा के उन सभी सांसदों का बहुत बहुत अभिनन्दन, जिन्होंने आज धारा 370 को समाप्त करने वाले संकल्प को पारित करवा कर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी और उनके एक भारत के सपने को साकार किया।’ उन्होंने यह भी लिखा था, ‘ बहुत साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय। श्रेष्ठ भारत - एक भारत का अभिनन्दन।’ 
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