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विश्व बाघ दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी, कहा- केवल "टाइगर जिंदा है" से नहीं चलेगा काम
By Deshwani | Publish Date: 29/7/2019 1:55:42 PM
विश्व बाघ दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी, कहा- केवल

नई दिल्ली। विश्व बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज अखिल भारतीय बाघ आकलन-2018 के चौथे चक्र का परिणाम जारी किया। इस सर्वेक्षण के अनुसार,  भारत में बाघों की आबादी 2014 के 1400 से बढ़कर 2019 में 2967 हो गई है।

 
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नौ साल पहले सेंट पीटर्सबर्ग में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत करीब तीन  हजार बाघों के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है। उन्होंने इसे भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और बाघ की रक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को फिर से जाहिर करते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास या पर्यावरण को लेकर एक बहुत पुरानी बहस है। दोनों पक्ष विचार प्रस्तुत करते हैं जैसे कि प्रत्येक परस्पर विशेष है। हमें सहअस्तित्व को भी स्वीकारना होगा और सहयात्रा के महत्व को भी समझना होगा। उन्होंने बाघ संरक्षण के प्रयासों को विस्तार और मजबूती देने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए दो बॉलीवुड फिल्मों के नामों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल टाइगर जिंदा है, से काम नहीं चलेगा। बाघ संरक्षण से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए।
 
मोदी ने कहा कि बीते पांच वर्षों में जहां देश में अगली पीढ़ी का इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तेजी से कार्य हुआ है, वहीं भारत में वन आवरण भी बढ़ रहा है। देश में संरक्षित क्षेत्र की संख्या में भी वृद्धि हुई है। "संरक्षित क्षेत्रों" में भी वृद्धि हुई है। 2014 में भारत में संरक्षित क्षेत्र की संख्या 692 थी, जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्यादा हो गई है। साथ ही सामुदायिक आरक्षण की संख्या भी साल 2014 के 43 से बढ़कर अब 100 से ज्यादा हो गई है।
 
केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पिछले पांच सालों में देश का वन क्षेत्र काफी बढ़ा है। पिछले पांच सालों में 2014 से 2019 तक लगभग 15 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा वन क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश के पास भूमि और जल कम है लेकिन जनसंख्या अधिक होने से मांग अधिक है। फिर भी यदि हमारा जंगल बढ़ रहा है तो हम सतत विकास के रास्ते पर चल रहे हैं।    
 
माना जाता है कि बाघ आकलन अभ्‍यास कवरेज, नमूने की गहनता और कैमरा ट्रैपिंग की मात्रा के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा वन्य जीव सर्वेक्षण प्रयास है। भारत प्रत्‍येक चार वर्ष में अखिल भारतीय बाघ आकलन करता है। आकलन के तीन चक्र 2006, 2010 और 2014 में पहले ही पूरे हो चुके हैं।
 
सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने भी जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए बाघों का आर्थिक मूल्यांकन किया है। इस तरह की युक्तियों और प्रक्रियाओं को कानूनी रूप से अनिवार्य बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित किया गया है, जिससे इसका संस्‍थागत होना सुनिश्चित किया जा सके।
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