ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
कर्नाटक संकट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- स्पीकर बागी विधायकों के इस्तीफों पर करेंगे फैसला
By Deshwani | Publish Date: 17/7/2019 12:20:23 PM
कर्नाटक संकट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- स्पीकर बागी विधायकों के इस्तीफों पर करेंगे फैसला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) के 15 बागी विधायकों की याचिका पर आज बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्नाटक के बागी विधायकों को कल यानि 18 जुलाई को होने वाले विश्वास मत प्रस्ताव में भाग लेने, नहीं लेने की स्वतंत्रता है। उन्हें विश्वास मत प्रस्ताव में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

 
कोर्ट ने कहा कि स्पीकर जब चाहें तब विधायकों के इस्तीफे पर फैसला ले सकते हैं। हम स्पीकर को फैसला लेने के लिए दिशा-निर्देश नहीं दे सकते हैं। जब वे फैसला ले लेंगे तो उसे कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। कोर्ट ने पिछले 16 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत के इस फैसले से कुमारस्वामी सरकार को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। फ्लोर टेस्ट में उनकी सरकार अल्पमत में आ सकती है।  
 
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था कि पिछले 20-30 सालों में हमने स्पीकर का कद ऊंचा किया है लेकिन उसका हुआ क्या? हमें इस पर विचार करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी और स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा था कि आप दोनों की दलीलों में दम है और हम उसमें संतुलन कायम करेंगे।
 
विधायकों की ओर से मुकल रोहतगी ने कहा था कि स्पीकर के सामने विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने की मांग का लंबित होना, उन्हें इस्तीफे पर फैसला लेने से नहीं रोकता है। ये दोनों अलग-अलग मामले हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पूछने पर रोहतगी ने सिलसिलेवार तरीके से पहले दिन से बदलते घटनाक्रम की जानकारी कोर्ट को दी थी। उन्होंने कहा था कि विधायक ये नहीं कह रहे हैं कि अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही खारिज की जाए, वो चलती रहे। लेकिन अब वो विधायक नहीं रहना चाहते हैं। वो जनता के बीच जाना चाहते हैं। ये उनका अधिकार है। स्पीकर इसमें बेवजह बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अगर कोर्ट पहुंचे विधायकों की संख्या हटा दी जाए, तो ये सरकार अल्पमत में है।
 
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विधानसभा स्पीकर की तरफ से कोर्ट से कहा था कि वे तथ्यात्मक रुप से गलत हैं। अयोग्यता से जुड़ी सभी कार्यवाही इस्तीफे के पहले के हैं। अयोग्यता का मामला व्हिप के उल्लंघन का मामला है। सिंघवी ने कहा था कि जो इस्तीफा दिया गया है वो वैध नहीं है। इस्तीफे 11 जुलाई को स्पीकर के समक्ष दिए गए उसके पहले नहीं। उसमें भी 4 विधायक अभी भी स्पीकर के समक्ष पेश नहीं हुए हैं। इसका मतलब कि अयोग्यता से जुड़ा मामला इस्तीफे से पहले का है। 
 
तब चीफ जस्टिस ने सिंघवी से पूछा था कि जब विधायकों ने इस्तीफे खुद जाकर सौंपे तो उनके सुप्रीम कोर्ट आने तक उन पर फैसला क्यों नहीं किया गया। चीफ जस्टिस ने सिंघवी से पूछा था कि आखिर क्यों विधायकों के मिलने के लिए समय मांगने के बावजूद स्पीकर उनसे नहीं मिले और विधायकों को कोर्ट आना पड़ा। तब सिंघवी ने कहा था कि ये गलत तथ्य है। स्पीकर ने हलफनामे में साफ किया कि विधायकों ने कोई मिलने के लिए समय नहीं मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि  स्पीकर हमें हमारे संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाते हैं लेकिन खुद फैसला नहीं करते हैं।
 
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा था कि इस्तीफों की एक ही वजह है मंत्री बनना। स्पीकर जो कुछ भी हो रहा है उस पर हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता है। ये विधायक एक समूह में काम कर रहे हैं। ये व्यक्तिगत रुप से काम नहीं कर रहे हैं। धवन ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया था जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफों पर फैसला करने और बाद में यथास्थिति बहाल करने की बात कही गई थी। 
 
उन्होंने कहा था कि इस कोर्ट को इस पर फैसला करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। यह स्पीकर बनाम कोर्ट का मामला नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री बनाम अन्य है। जो मुख्यमंत्री बनना चाहता है, वह व्यक्ति सरकार गिराना चाहता है। धवन ने कहा था कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने स्पीकर की शक्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। इस्तीफों का मुख्य मकसद सरकार गिराना है। 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS