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चिटफंड घोटाला मामला: राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, गिरफ्तारी से हटाई रोक
By Deshwani | Publish Date: 17/5/2019 12:53:59 PM
चिटफंड घोटाला मामला: राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, गिरफ्तारी से हटाई रोक

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी अधिकारी और कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को तगड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने शारदा चिटफंड घोटाला मामले में राजीव कुमार को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर रोक संबंधी प्रोटेक्शन को वापस ले लिया है।

 
शीर्ष कोर्ट ने उनको अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करने के लिए 7 दिन का समय भी दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर राजीव कुमार सात दिन के अंदर कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख नहीं करते हैं और उनको वहां से अग्रिम जमानत नहीं मिलती है, तो सीबीआई सात दिन बाद राजीव कुमार को गिरफ्तार कर सकती है। पिछले 2 मई को कोर्ट ने इस मसले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
 
सुनवाई के दौरान राजीव कुमार की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि राजीव कुमार के बारे में जो कुछ भी कहा गया है वह मनगढ़ंत है। 2015 में सरकार ने उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया और उसके बाद ऐसा क्या हुआ कि वे हिरासत में पूछताछ चाहते हैं? इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि इस मामले में कोई आपराधिक इरादा नहीं है। इसके अलावा उन्हें इस मामले में पूर्ण रूप से उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता है। हिरासत में पूछताछ के लिए प्रार्थना को खारिज कर दिया जाना चाहिए। इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि सीबीआई ने 40 घंटे तक पूछताछ की है और अब उन्हें हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता क्यों है? यह केवल मीडिया ट्रायल के लिए किया जा रहा है। 
 
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राजीव कुमार के सारधा चिटफंट केस के सबूत नष्ट करने के सबूत दिए थे। राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया था। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कोर्ट को उन प्रश्न और उत्तरों को सौंपा था जो राजीव कुमार और सारधा की निदेशक देबजानी मुखर्जी से पूछे गए थे। 
 
इस पर कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा था कि क्या ये साक्ष्य केस डायरी का हिस्सा थे तो तुषार मेहता ने कहा कि हां। तुषार मेहता ने कहा था कि जांच अधिकारी के बयान सही हैं और उन पर सवाल खड़े नहीं किए जा सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने तुषार मेहता से कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता में हुए संशोधन के मुताबिक केस डायरी एक साथ बंधे हुए होने चाहिए, अलग-अलग पन्नों में नहीं होने चाहिए। 
 
 
मेहता ने कहा था कि जब सीबीआई ने विभिन्न अधिकारियों को नोटिस भेजना शुरू किया उन लोगों ने सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करना शुरू कर दिया। एक याचिका में तो राज्य सरकार पक्षकार बन गई और हाईकोर्ट से अधिकारियों की सुरक्षा की मांग की। तब जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि सीबीआई एक प्रीमियर एजेंसी है। इसलिए उसे कानून का पूरा-पूरा पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कई देश अपने यहां हिरासत में पूछताछ की अनुमति नहीं देते हैं। तब तुषार मेहता ने कहा था कि भारत का अपना अलग न्यायशास्त्र है। इस केस में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का मामला है जिसमें ताकतवर लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है।
 
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह एक राजनीतिक मामला है ताकि मामले को गर्म बनाए रखा जा सके। ये मामला कई राज्यों से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। साक्ष्यों को मिटाने के मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। सीबीआई कह रही है कि ये चार पांच साल पुराना मामला है। हम जांच में सहयोग कर रहे हैं। तब हिरासत में पूछताछ की क्या जरूरत है। आज के पहले साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ का आरोप कभी नहीं लगाया गया। 
 
पुलिस आयुक्त के खिलाफ पहली बार आरोप एक बीजेपी नेता ने अपने भाषण में लगाया। शिलांग में पुलिस अधिकारी से पांच दिनों में छत्तीस घंटे तक पूछताछ की गई। सिंघवी ने कहा था कि पिछले मार्च महीने में सीबीआई निदेशक ने अपने हलफनामे में कहा था कि दस्तावेजों में गड़बड़ी है लेकिन साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की बात नहीं कही।
 
पिछले 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई इस बात के सबूत दे कि राजीव सारधा चिटफंट घोटाले के सबूत नष्ट करने में शामिल रहे हैं। पिछले 17 अप्रैल को राजीव कुमार ने सीबीआई की ओर से हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था। राजीव कुमार ने कहा था कि बीजेपी नेताओं मुकुल राय और कैलाश विजयवर्गीय के कहने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। राजीव कुमार ने अपने दावे के समर्थन में ऑडियो क्लिप भी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। 
 
उन्होंने कहा कि जब सीबीआई निदेशक ने एक हलफनामा दायर किया तो केवल विसंगतियों का आरोप लगाया गया था और उस आरोप के लिए ज्यादा से ज्यादा विभागीय जांच की जा सकती है। आप कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया को दरकिनार नहीं कर सकते और हिरासत में पूछताछ नहीं कर सकते। 
 
जयसिंह ने कहा कि इस मामले को उठाने का एकमात्र कारण यह है कि अगर पुलिस आयुक्त के साथ ऐसा हो सकता है तो मेरे साथ भी हो सकता है। अगर ऐसा है तो इस देश का नागरिक यहां कैसे सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि देबजानी मुखर्जी के लैपटॉप और फोन की जानकारी लेना चाहते हैं, लेकिन मुख्य आरोपी सुदीप्तो सेन का फोन और लैपटॉप मालखाना में पड़ा हुआ है, लेकिन सीबीआई इस बारे में पूछताछ नहीं कर रही है। 
 
उन्होंने कहा कि कोर्ट के पास अवमानना कार्यवाही में हिरासत में पूछताछ के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं है। यह मामला राजनीति से प्रेरित है। मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन कुणाल को नहीं, क्योंकि वह  भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इंदिरा जयसिंह की दलीलें खत्म होने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं कर रहा हूं। मैं केवल कोर्ट से उनका प्रोटेक्शन आर्डर हटाने की मांग कर रहा हूं। 
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