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अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का एक और पहल, इसरो ने लॉन्च किया एमिसैट
By Deshwani | Publish Date: 1/4/2019 10:52:55 AM
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का एक और पहल, इसरो ने लॉन्च किया एमिसैट

श्रीहरिकोटा। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत लगातार इतिहास रचता जा रहा है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से आज सुबह 9.27 पर भारतीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस उपग्रह, एमिसैट का प्रक्षेपण किया गया। एमिसैट का प्रक्षेपण रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए किया जा रहा है। दुश्मन पर पैनी नज़र रखने के लिहाज से भी एमिसैट काफी महत्वपूर्ण है। 

 
 
उल्लेखनीय है कि हाल ही में अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल करने में कामयाब रहा था। उसी कड़ी में अब एक और नया कीर्तिमान रचा गया है। इसरो ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सुबह 9.27 पर भारतीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस उपग्रह, एमिसैट का प्रक्षेपण किया गया। 
 
रॉकेट पहले 436 किग्रा के एमिसैट को 749 किलोमीटर के कक्ष में स्थापित करेगा। उसके बाद यह 28 उपग्रहों को 504 किमी की ऊंचाई पर उनके कक्ष में स्थापित करेगा। इसके बाद रॉकेट को 485 किमी तक नीचे लाया जाएगा, जब चौथा चरण/इंजन तीन प्रायोगिक भार ले जाने वाले पेलोड के प्लेटफॉर्म में बदल जाएगा। कुल 28 उपग्रह हुए लॉन्चइस पूरे उड़ान क्रम में 180 मिनट लगेंगे।
 
रॉकेट ने आज सुबह 9.27 मिनट पर उड़ान भरी। एमिसैट के अलावा लॉन्च होने वाले 28 अंतरराष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों का वजन 220 किलोग्राम होगा। इसमें 24 अमेरिका, दो लिथुआनिया के व स्पेन व स्विट्जरलैंड के एक-एक उपग्रह शामिल हैं। इसरो के अध्यक्ष के. सिवान के अनुसार, 'यह हमारे लिए विशेष मिशन है। हम चार स्ट्रैप ऑन मोटर्स के साथ एक पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल करेंगे।इसके अलावा पहली बार हम तीन अलग-अलग ऊंचाई पर रॉकेट के जरिए ऑर्बिट में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।'
 
एमिसैट सुरक्षा के लिहाज से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर बनाया है। इसका खास मकसद पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नज़र रखना है। यानी बॉर्डर पर ये उपग्रह रडार और सेंसर पर निगाह रखेगा। ना सिर्फ मानवीय बल्कि संचार से जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि पर नज़र रखने के लिए इस उपग्रह का इस्तेमाल हो सकेगा। 
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