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चुनाव चिन्ह मामला: सुप्रीम कोर्ट से दिनाकरन को झटका, एएमएमके को नहीं मिलेगा प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न
By Deshwani | Publish Date: 26/3/2019 3:51:15 PM
चुनाव चिन्ह मामला: सुप्रीम कोर्ट से दिनाकरन को झटका, एएमएमके को नहीं मिलेगा प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कड़गम (एएमएमके) पार्टी के नेता टीटीवी दिनाकरन को तमिलनाडु में आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनावों के दौरान प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न आवंटित करने का दिशा निर्देश निर्वाचन आयोग को देने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा कि दिनाकरन की पार्टी को कोई कॉमन सिंबल अलॉट किया जाए। इस गुट से जीतने वाले उम्मीदवार को निर्दलीय माना जाएगा।

 
सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दिनाकरन से कहा कि ऐसा लगता है कि शुरुआती दौर में प्रेशर कुकर सिंबल देना जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए का उल्लंघन था। अगर आपका गुट धारा 29ए का पालन नहीं करता है तो आपको कॉमन सिंबल क्यों दिया जाए। दिनाकरन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने कहा था कि हम न्याय करेंगे। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि एआईएडीएमके पार्टी के दो पत्ती सिंबल पर आपकी याचिका बंद हो चुकी है। सवाल केवल यही है कि आप प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न या दूसरे कॉमन सिंबल के हकदार हैं कि नहीं। आपको प्रेशर चुनाव चिह्न तब दिया गया था जब आपकी दो पत्ती सिंबल संबंधी याचिका लंबित थी। अब इस याचिका का निपटारा हो गया है। हम धारा 29ए को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं। आपको धारा 29ए के तहत अपनी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए था। 
 
दिनाकरन की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर हमने रजिस्ट्रेशन करवाया होता तो हम दो पत्ती सिंबल पर अपना हक खो देते और विरोधी पक्ष को बिना लड़े ही वो चुनाव चिह्न मिल जाता।
 
चीफ जस्टिस ने कहा कि आपने ये अराजकता स्वयं खड़ी की है। हमने 15 मार्च को जब आपकी याचिका खारिज की थी तभी आपको अपनी पार्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना चाहिए था। आप कल यानी 25 मार्च को भी इसके लिए आवेदन कर सकते थे। चीफ जस्टिस ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या आप कोई दूसरा कॉमन सिंबल दिनाकरन गुट के उम्मीदवारों को आवंटित कर सकते हैं। 
 
दिनाकरन गुट अपने को एआईएडीएमके का वारिस समझती है। उनकी बस छूट गई है लेकिन वे अभी भी एक समूह हैं। सच्चाई ये है कि व्यक्ति कितना भी मजबूत क्यों न हो वो सिंबल से ही जाना जाता है। उसके उम्मीदवारों को दूसरा सिंबल देना उनके करियर को बर्बाद कर देगा। दिनाकरन गुट को प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न पर अकेला अधिकार नहीं है। उन्होंने धारा 29ए के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए भी आवेदन नहीं किया है। उसके बाद कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा कि दिनाकरन की पार्टी को कोई कॉमन सिंबल अलॉट किया जाए। इस गुट से जीतने वाले उम्मीदवार को निर्दलीय माना जाएगा।
 
25 मार्च को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि दस दिन पहले के आदेश के बावजूद निर्वाचन आयोग ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया। सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कहा था कि वो किसी भी व्यक्ति को प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है लेकिन किसी समूह को नहीं। किसी रजिस्टर्ड राजनीतिक दल को ही कॉमन सिंबल दिया जा सकता है। सुनवाई के दौरान टीटीवी दिनाकरन ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के इस रुख से उसकी एएमएमके पार्टी के 54 उम्मीदवारों को अलग-अलग सिंबल देना होगा। इससे विरोधी अपने आप ही जीत हासिल कर लेंगे।
 
15 मार्च को कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था । दिनाकरन ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 'दो पत्ती' चुनाव चिह्न पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम को दिया गया था। इसके साथ ही दिनाकरन ने अपनी पार्टी एएमएमके को प्रेशर कुकर चुनाव चिह्न देने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग की थी।
 
28 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिनाकरन की निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था । हाईकोर्ट ने एआईएडीएमके का दो पत्ती का सिंबल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीसानी और उप-मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के गुट को देने का आदेश दिया था। 
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