आतंकी मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने दिया यूएन में प्रस्ताव
नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर नकेल कसने के लिए भारत की कूटनीति रंग ला रही है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है। बुधवार को दिए गए प्रस्ताव में इन देशों ने 15 सदस्यीय सुरक्षा प्रतिबंध समिति से अजहर की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्तियों को जब्त करने की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है। समिति के सामने दिए गए प्रस्ताव में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का मुखिया मसूद अजहर ने ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को किए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
इस संदर्भ में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के सलाहकार फिलिप एतिन से बातचीत की थी। इस बातचीत के बाद ही फ्रांस का बयान आया था।
उल्लेखनीय है कि 15 सदस्यीय यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। अन्य 10 अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल दो साल का होता है। स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार प्राप्त है। यदि एक भी स्थायी सदस्य देश किसी प्रस्ताव का विरोध कर दे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के इस प्रस्ताव का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है। चीन ने वर्ष 2016 में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) एवं अलकायदा और वर्ष 2017 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूएनएससी में लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया था। फिलहाल, चीन ने इस नए प्रस्ताव पर कोई बयान नहीं दिया है।
भारत, आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2009, 2016 और 2017 में ही प्रस्ताव पेश कर चुका है। वर्ष 2016 में भारत के प्रस्ताव का अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने समर्थन किया था, जबकि चीन ने भारत के प्रस्ताव का हर बार विरोध किया था।
मसूद अजहर जनवरी 2016 में पठानकोट सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले का भी मास्टरमाइंड है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस इस बात पर भी जोर दे रहा कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में ‘ग्रे लिस्ट’ वाले देशों में शामिल करने के लिए भी दबाव बनाया जाए। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था। उसे नोटिस दिया गया था कि अगर उसने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर लगाम नहीं लगाई तो अक्टूबर 2019 में उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।