कोलकाता। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि राम मंदिर के मुद्दे पर हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता का हवाला देकर राम मंदिर निर्माण का विरोध किया उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए और देखना चाहिए कि वहां पर कैसा लोकतंत्र है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बने होते तो मंदिर मुद्दा पहले ही सुलझ गया होता। गिरिराज ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर इस मुद्दे को जानबूझकर जिंदा रखा।
विवादित बयानों के लिए पहचाने जाने वाले बीजेपी नेता ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है लेकिन इसके बजाय सभी हिंदुओं के देश में रहने का अजेंडा है। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर गिरिराज सिंह ने कहा कि जो देश में असहिष्णुता के बारे में चिल्ला रहे हैं वे असल में असहिष्णुता के गिरोह से हैं जो देश को गंदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'चूंकि हम सहिष्णु हैं तो अन्य समुदाय इसका फायदा ले सकते हैं। कैसे भारत जैसे हिंदू बहुल देश में देवताओं की प्रार्थना करने से रोका जा सकता है? अन्य समुदायों का हमें, हमारे देवताओं की प्रार्थना करने से रोकने का क्या अधिकार है? किसी भी चीज की अति खराब है लेकिन इससे हिंदुओं का धैर्य टूट सकता है। किसी को भी हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।'
उन्होंने देश की आबादी पर नियंत्रण लगाने के लिए सख्त नीतियों को अपनाने की भी बात कही। उन्होंने कहा, 'क्या वजह है कि जहां 99 फीसदी हिंदू आबादी है वहां आप सामाजिक संतुलन पाएंगे? क्या कारण है जहां मुस्लिम बहुमत में आए तो सामाजिक संतुलन टूट गया, लोगों ने डर में जीना शुरू कर दिया।' विपक्षी एकता के बारे में गिरिराज सिंह ने कहा कि यह एकता नरेंद्र मोदी के भय से निकली है और उन्हें पूरा विश्वास है कि बीजेपी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगी।