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राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
By Deshwani | Publish Date: 31/1/2019 1:24:37 PM
राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली। राकेश अस्थाना को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो का महानिदेशक बनाने को चुनौती देने वाली जनहित को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका में अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच लंबित होने के बावजूद उन्‍हें प्रमोशन देने का आरोप लगाया गया था। 

 
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में अस्थाना को लेकर की गई कार्रवाई के कई कारणों को समाहित किया गया है। हालांकि, इनमें से ज्यादातर का जनहित याचिका से कोई संबंध नहीं है।
 
कोर्ट ने कहा कि इसमें कई ऐसी बातों को समाहित किया गया, इनमें से कुछ का याचिका से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, कुछ सेवा न्यायाधिकरणों के अधिकार क्षेत्रों में आ सकते हैं, लेकिन अन्य अधिकार क्षेत्र में नहीं है। 
 
याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा ने याचिका में अस्थाना को बीसीएएस का डीजी बनाए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि सीवीसी ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।
 
कोर्ट ने उन्हें कहा कि आपकी बातें क्या हैं और किस संदर्भ में हैं यह स्पष्ट नहीं है। कुछ भी और सब कुछ नहीं किया जा सकता है। इसके बाद शर्मा ने दलील दी कि अस्थाना को बीसीएएस के डीजी का पद दिया गया और 10 जनवरी की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के फैसले को चुनौती दी गई। जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति के निर्णय का किसी भी चीज से क्या लेना-देना है? इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
 
बता दें कि पूर्व सीबीआई के विशेष निदेशक के पद से हटने के बाद सरकार ने राकेश अस्थाना को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) का नया महानिदेशक नियुक्त किया था। उन्हें इस पद पर सरकार ने दो साल के लिए नियुक्त किया है। इस बात की पुष्टि एक आधिकारिक अधिसूचना में की गई। इस अधिसूचना में कहा गया कि अस्थाना को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने बीसीएएस के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है।
 
बीसीएएस के डीजी बनाए जाने से एक दिन पहले अस्थाना को सीबीआई के विशेष निदेशक के पद से तुरंत प्रभाव से हटाकर उनके कार्यकाल को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया था। यही नहीं, केंद्र ने अस्थाना के करीबी माने जाने वाले तीन अन्य अधिकारियों का कार्यकाल भी समाप्त कर दिया था।
 
बता दें कि सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और पदानुक्रम में दूसरे स्थान पर राकेश अस्थाना के बीच उत्पन्न हुई कड़वाहट से छिड़ी जंग ने सीबीआई की प्रतिष्ठा पर आंच आई, जिसके बाद 23 अक्टूबर को केंद्र ने अस्थाना और आलोक वर्मा से उनके अधिकार छीन कर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। दरअसल, दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। सीबीआई के गठन के बाद ऐसी घटना पहली बार देखने को मिली।
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