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समान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका
By Deshwani | Publish Date: 22/1/2019 6:48:22 PM
समान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका

नई दिल्ली। आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। याचिका तहसीन पूनावाला ने दायर की है।

 
याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 50 फीसदी की अधिकतम आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होता है। 
 
इसके पहले भी तीन याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। गुजरात के रहने वाले विपिन कुमार ने भी एक याचिका दाखिल की है। पिछले 10 जनवरी को यूथ फॉर इक्वलिटी ने भी याचिका दायर की थी।
 
याचिका में कहा गया है कि संविधान का 103वां संशोधन संविधान की मूल भावना का उल्लघंन करता है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक मापदंड को आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है। 
 
याचिका में इंदिरा साहनी के फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि आरक्षण का एकमात्र आधार आर्थिक मापदंड नहीं हो सकता है। याचिका में संविधान के 103वें संशोधन को निरस्त करने की मांग की गई है।
 
याचिका में कहा गया है कि संविधान संशोधन में आर्थिक रूप से आरक्षण का आधार केवल सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है और ऐसा कर उस आरक्षण से एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के समुदाय के लोगों को बाहर रखा गया है। साथ ही आठ लाख के क्रीमी लेयर की सीमा रखकर संविधान की धारा-14 के बराबरी के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
 
याचिका में कहा गया है कि इंदिरा साहनी के फैसले के मुताबिक आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं की जा सकती। वर्तमान में 49.5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है, जिसमें 15 फीसदी आरक्षण एससी समुदाय के लिए, 7.5 फीसदी एसटी समुदाय के लिए और 27 फीसदी ओबीसी समुदाय के लिए है।
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