केंद्र सरकार को झटका, SC ने निरस्त किया छुट्टी पर भेजने का फैसला, लेकिन नीतिगत फैसले नहीं लेंगे आलोक वर्मा
नई दिल्ली। सीबीआई विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के निर्णय को पलटते हुए उनकी बहाली का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डीएसपीई एक्ट के तहत उच्चाधिकार समिति एक सप्ताह के भीतर इस मामले को देखेगी और इस दौरान वह कोई नीतिगत फैसला नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और जांच एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे।
वर्मा ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के एक और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दो सहित 23 अक्टूबर 2018 के कुल तीन आदेशों को निरस्त करने की मांग की थी
उनका आरोप है कि ये आदेश क्षेत्राधिकार के बिना तथा संविधान के अनुच्छेदों 14, 19 और 21 का उल्लंघन करके जारी किए गए। केन्द्र ने इसके साथ ही 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एवं ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेन्सी के निदेशक का अस्थाई कार्यभार सौंप दिया था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को आलोक वर्मा की याचिका पर वर्मा, केन्द्र, केन्द्रीय सतर्कता आयोग और अन्य की दलीलों पर सुनवाई पूरी करते हुये निर्णय सुरक्षित रखा था।
पीठ ने गैर सरकारी संगठन 'कॉमन कॉज' की याचिका पर भी सुनवाई की थी। इस संगठन ने न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से राकेश अस्थाना सहित जांच ब्यूरो के तमाम अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया था। वर्मा का सीबीआई निदेशक के रूप में दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी को पूरा हो रहा है। उन्होंने केन्द्र के फैसले को चुनौती देने हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
केन्द्र ने शीर्ष अदालत के सामने वर्मा को उनकी जिम्मेदारियों से हटाकर अवकाश पर भेजने के अपने फैसले को सही ठहराया था और कहा था कि उनके और अस्थाना के बीच टकराव की स्थिति है जिस वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी 'जनता की नजरों में हंसी' का पात्र बन रही है।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था केन्द्र के पास 'हस्तक्षेप करने' तथा दोनों अधिकारियों से शक्तियां लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजने का 'अधिकार' है।