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निर्भया हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दोषियों को तत्काल फांसी देने के लिए दायर याचिका खारिज की
By Deshwani | Publish Date: 13/12/2018 5:31:18 PM
निर्भया हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने मामले के दोषियों को तत्काल फांसी देने के लिए दायर याचिका खारिज की

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषियों की मौत की सजा पर तत्काल अमल के लिए दायर याचिका को आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव की जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह किस तरह का अनुरोध आप कर रहे हैं? आप न्यायालय को हास्यास्पद बना रहे हैं।

 
दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात एक चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया और गंभीर रूप से घायल कर उसे बस से बाहर, सड़क पर फेंक दिया था। इस छात्रा की 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। 
 
इस अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक राम सिह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी किशोर था जिसे अधिकतम तीन साल की कैद हुई थी। शीर्ष कोर्ट ने नौ जुलाई को तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था जिनमें उन्होंने मौत की सजा के 2017 के उसके फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था।
 
चौथे दोषी अक्षय कुमार सिह ने शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है। दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय तथा निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हुये साढ़े चार महीने से भी अधिक समय हो गया है लेकिन अभी तक उनकी सजा पर अमल नहीं किया गया है।
 
याचिका में कहा गया था कि बलात्कार एवं हत्या के मामलों में दोषियों की किस्मत का फैसला निचली अदालत से लेकर उच्चतम न्यायालय तक आठ महीने के भीतर किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि मौत की सजा के फैसले पर अमल में इस तरह का विलंब गलत परंपरा के रूप में काम करता है और इसकी वजह से बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
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