ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
आलोक वर्मा की याचिका पर SC में अहम सुनवाई आज, आ सकता है फैसला!
By Deshwani | Publish Date: 29/11/2018 11:05:45 AM
आलोक वर्मा की याचिका पर SC में अहम सुनवाई आज, आ सकता है फैसला!

नई दिल्‍ली । सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा के जवाब लीक होने पर नाराज़गी जताते हुए  कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी और आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी। फली नरीमन ने बताया था कि मीडिया में छपा आर्टिकल सीवीसी की ओर से पूछे गए आलोक वर्मा के जवाब के बारे में था, ना कि कोर्ट में सीलबंद कवर में पेश किए गए जवाब के बारे में।

 
दरअसल, आलोक वर्मा ने अचानक छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट की धारा 4-बी के मुताबिक, सीबीआई निदेशक का दो वर्ष का तय कार्यकाल होता है और सरकार ने उनका कामकाज छीनकर इस नियम का उल्लंघन किया है। कानून की धारा 4ए कहती है कि प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और प्रधान न्यायाधीश की एक उच्च स्तरीय कमेटी होगी जोकि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करेगी और धारा 4बी 2 के मुताबिक सीबीआई निदेशक का स्थानांतरण करने से पहले इस समिति से अनुमति लेनी होगी। वर्मा का कहना है कि इन कानूनी प्रावधानों की अनदेखी करते हुए उनसे कामकाज छीनने का आदेश जारी किया गया है, जो कि गैरकानूनी है।
 
याचिका में यह भी कहा गया है कि उनका 35 साल सेवा का बेदाग रिकॉर्ड है और इसीलिए उन्हें दो वर्ष के लिए जनवरी 2017 में सीबीआई निदेशक पद पर नियुक्त किया गया। उनका कहना है कि सीबीआई से उम्मीद की जाती है कि वह स्वतंत्र और स्वायत्त एजेंसी के तौर पर काम करेगी। ऐसे हालात भी आते हैं, जबकि उच्च पदों पर बैठे लोगों से संबंधित जांच की दिशा सरकार की इच्छानुसार न हो। वर्मा कहते हैं कि हाल के दिनों में ऐसे मौके आए, जबकि जांच अधिकारी और अधीक्षण अधिकारी से लेकर संयुक्त निदेशक और निदेशक तक सभी कार्रवाई के बारे में एक मत थे, सिर्फ विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का मत भिन्न था। आलोक वर्मा ने अस्थाना पर कई महत्वपूर्ण मामलों की जांचो में अड़ंगेबाजी लगाने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि इसी क्रम में अस्थाना ने उनकी छवि खराब करने के लिए उन पर फर्जी आरोप लगाए, जिस पर सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी। 
 
 
 
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS