नई दिल्ली। किसानों से 1100 रुपए क्विंटल के भाव से खरीदा गया प्यार नाफेड के गोडाउन में अब कौड़ियों के भाव बिकने की स्थिति में है। 6500 टन प्याज में आधे से ज्यादा सड़ चुका है। नाफेड गोदाम में रखा हुआ प्याज ना तो किसी व्यापारी के ही काम आ सकता है और ना ही ग्राहकों के लिए हो सकता है। सरकारी पैसे का घाटा लगना स्वभाविक दिख रहा है। बाजार में फिलहाल प्याज 7 से ₹10 किलो मिल रहा है, लेकिन नाफेड के जरिए खरीदे के प्याज को लेने वाले कोई खरीदार नहीं मिल सकता।
किसानों से अनाज और फसल खरीद कर नाफेड अपने गोडाउन में उस वक्त के लिए रखती है कि बाजार में कीमतें बढ़ने पर सरकार के जरिए कम कीमत पर अनाज और फसल मुहैया कराया जा सके। नासिक पुणे और अहमद नगर में तकरीबन 6500 टन प्याज को नाफेड के जरिए खरीदा गया है, लेकिन जिस तरीके से प्याज रखा गया है, वह अपने आप में ही लापरवाही सहित पैसे की बर्बादी की कहानी कह रहा है। इस 6500 टन में से 1300 टन सरकार के बफर स्टॉक का प्याज है। सरकार ने तकरीबन 100 रुपए क्विंटल के हिसाब से प्याज किसानों से खरीदा है लेकिन फिलहाल मार्केट में प्याज की कीमत ₹7 से ₹10 तक किलो तक है।
हालांकि नासिक के गोडाउन में नाफेड के जरिए खरीदे गए प्याज को बाजार में बढ़ी कीमतों के दौरान सरकार के जरिए वितरित करने थे। लेकिन सड़े हुए प्याज को बाजार में कोई खरीदार भी मिलने की उम्मीद नहीं है। व्यापारियों का मानना है कि नाफेड के जरिए उठाया गया कदम और रखरखाव में कई कमियां हैं जिससे ना तो व्यापारियों को फायदा हो सकता है ना ही उपभोक्ता और किसानों को ही। हालांकि इस बारे में नाफेड की तरफ से कोई भी बातचीत नहीं की गई है ना ही ज़ी मीडिया के सवालों का जवाब ही दिया गया है, अधिकारी दौरे पर होने का हवाला दिया गया। व्यापारी बार-बार नाफेड के काम करने के तौर तरीके पर सवाल उठाते रहे हैं।
एग्रीकल्चर फांइनांस कॉरपोरेशन के डायरेक्टर अश्वनी कुमार गर्ग के मुताबिक प्याज के रखरखाव का तकनीक बेहद ही आधुनिक होनी चाहिए। सरकार के जरिए इस बारे में विशेष ध्यान भी दिया गया है। नासिक के लासलगांव में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के जरिए एक यूनिट बनाई गई है, जिसमें अगर प्याज को लंबे दिनों तक रखना है तो उसे रेडिएट किया जाता है। जिसकी कीमत तकरीबन तकरीबन 50 पैसे से एक रुपए प्रति किलो आती है। नाफेड के जरिए खरीदे गए प्याज और गोडाउन में इसे रखने के पहले, इस प्रोसेस के आधार पर नहीं रखा गया है जिससे प्याज जल्दी खराब हो रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि अगर नाफेड को इस प्याज को ज्यादा दिनों तक रखना था, निश्चय ही इसे इस प्रोसेस के तहत रखना चाहिए था। देश में अत्याधुनिक सुविधाओं से सहित कई ऐसी संस्थान है जो फसल को ज्यादा दिनों तक रख सकते हैं नाफेड के जरिए उठाया गया कदम लापरवाही का है।