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सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि है और हमेशा सर्वोपरि ही रहेगा: जस्टिस दीपक मिश्रा
By Deshwani | Publish Date: 1/10/2018 7:24:26 PM
सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि है और हमेशा सर्वोपरि ही रहेगा: जस्टिस दीपक मिश्रा

नई दिल्ली। देश के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने अपने विदाई समारोह में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि है और हमेशा सर्वोपरि ही रहेगा। नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई के हाथ में न्यापालिका की स्वतंत्रता अक्षुण्ण रहेगी। भारत की न्यायपालिका इसके जजों के कारण सबसे मजबूत है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता अक्षुण्ण है और हमेशा रहेगी। जस्टिस मिश्रा ने कहा, "मैं लोगों को उनके इतिहास के आधार पर जज नहीं करता। मैं उनकी गतिविधियों और परिप्रेक्ष्य के आधार पर जज करता हूं।"  
 
उधर, भावी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उनका नागरिक स्वतंत्रता में बड़ा योगदान रहा है। जस्टिस गोगोई ने कहा, शीर्ष अदालत के पास प्रतिबद्ध न्यायाधीश हैं और वे प्रतिबद्ध रहेंगे। जस्टिस दीपक मिश्रा एक विशिष्ट न्यायाधीश हैं। 
 
जस्टिस गोगोई ने कहा, "एक देश के रूप में हम बुरी तरह बंटे हुए हैं। जाति के आधार पर, धर्म के आधार पर, खान पान, पहनावे के आधार पर भी परंतु हमें हमारा संविधान एक किए हुए है। देश इस वक्त जाति और धर्म के नाम पर विभाजित है। उन्होंने कहा, हारने वाले लोग झूठे बयानों का सहारा लेते हैं।" 
 
इससे पहले, जस्टिस मिश्रा ने आज अंतिम बार अदालत की कमान संभाली। उनके साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी थे। जब एक वकील ने एक गीत के जरिए उनके लंबे जीवन की कामना की तो प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि अभी वह ‘‘ दिल से बोल रहे हैं’’ हालांकि शाम के वक्त दिमाग से जवाब देंगे। बीते दस दिन में आधार, समलैंगिकता, विवाहेत्तर और सबरीमला जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठों की अध्यक्षता करने वाले सीजेआई मिश्रा महज 25 मिनट तक चली अदालत की कार्यवाही के दौरान भावुक नजर आए। 
 
 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, जो तीन अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश पद ग्रहण करेंगे, और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर आज पीठ में शामिल थे। तीन अक्तूबर से शीर्ष अदालत की कमान संभालेंगे। न्यायामूर्ति गोगोई और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर भी पीठ का हिस्सा थे। पीठ ने कहा कि सोमवार को वह तत्काल सुनवाई वाला कोई मामले नहीं लिया जायेगा और ऐसे मामलों की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तीन अक्टूबर को हो सकेगी। 
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