प्रमोशन में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से SC/ST कर्मचारियों को यह होगा बड़ा फायदा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एससी-एसटी कर्मचारियों को नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण पर फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट ने यह फैसला राज्यों पर छोड़ दिया कि वे चाहे तो प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में एससी-एसटी आरक्षण के लिए कोई आंकड़ा जुटाने की जरूरत नहीं है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय संप्रेक्षक आरके वर्मा के मुताबिक अब यह राज्यों के ऊपर है कि वह इस फैसले पर कैसे अमल करती हैं। हां, यह फायदा जरूर होगा कि अगर ताजा फैसले पर अगर राज्य सरकारें अमल करती हैं तो एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रोन्नति जल्द मिल सकेगी। इससे उनका पद और वेतन दोनों बढ़ेगा, जो सबसे बड़ा लाभ होगा। वर्मा ने बताया कि यूपी में कुल 18 लाख सरकारी राज्य कर्मचारी हैं। इनमें सवर्ण, एससी/एसटी और ओबीसी, सभी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट SC/ST कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में इस बात पर सुनवाई कर रहा था कि 12 साल पुराने एम नागराज मामले में कोर्ट के फैसले की समीक्षा की जरूरत है या नहीं। इस फैसले मे कहा गया है कि एससी-एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए सरकार को उनके पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे। इस मामले में पक्षकारों के वकील शांति भूषण ने नागराज के फैसले पर पुनर्विचार को लेकर केंद्र सरकार की याचिका का विरोध किया था। भूषण ने कहा था कि यह वोट बैंक की राजनीति है और इस मुद्दे को राजनीतिक बनाने के लिए किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने कहा था कि 2006 में आए इस फैसले में कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले ये साबित करना होगा कि सेवा में SC/ST का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए डेटा देना हो। केंद्र सरकार की ओर से पेश अर्टनी जनरल ने कहा था कि SC/ST समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा रहा है और SC/ST में पिछड़ेपन को साबित करने की ज़रूरत नहीं है।अर्टनी जनरल ने कहा था कि 1000 साल से SC/ST जो भुगत रहे है, उसे संतुलित करने के लिए SC/ST को आरक्षण दिया है, ये लोग आज भी उत्पीड़न के शिकार हो रहे है।
2006 के एम नागराज फैसले पर सवाल उठाते हुए अटॉनी जनरल ने कहा था कि इस फैसले में आरक्षण दिए जाने के लिए दी गई शर्तो पर हर केस के लिए अमल करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।आप SC/ST को नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को कैसे साबित करेंगे। क्या ये हर पद के लिए होगा? क्या पूरे विभाग के लिए होगा।ये सारे फैक्टर कैसे निर्धारित होंगे। अर्टनी जनरल ने बताया कि सरकार SC/ST समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों में 22.5 फीसदी पदों पर प्रमोशन में रिजर्वेशन चाहती है, केवल यही संख्या नौकरियों में उनके वाजिब प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित कर सकती है।