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राजस्थान में जसवंत के बेटे मानवेन्द्र के बागी तेवर, आज कर रहें हैं 'स्वाभिमान सम्मेलन'
By Deshwani | Publish Date: 22/9/2018 10:14:41 AM
राजस्थान में जसवंत के बेटे मानवेन्द्र के बागी तेवर, आज कर रहें हैं 'स्वाभिमान सम्मेलन'

नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा को अपने दल के नेताओं के बागी अंदाज से दो-चार होना पड़ रहा है। पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराज घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर अपना रास्ता बदल दिया । तो अब भाजपा नेता जसवंत सिंह के बेटे और बाड़मेर जिले के शिव से विधायक मानवेन्द्र सिंह 22 सितम्बर को मारवाड़ इलाके के बाड़मेर के पचपादरा में 'स्वाभिमान सम्मेलन' का आयोजन कर पार्टी को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है की यह कार्यक्रम सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर पुर्नविचार करने को मजबूर कर सकता है। वैसे मानवेन्द्र के कांग्रेस में जाने की भी चर्चा है।
 
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंह की गौरव यात्रा का कार्यक्रम उनके विधानसभा क्षेत्र शिव में नहीं होने के बाद मानवेन्द्र सिंह ने अपना रास्ता बदल लिया है। वैसे भी मानवेंद्र का वसुंधरा राजे के साथ छत्तीस का आंकड़ा 2014 में उनके पिता जसवंत सिंह का टिकट कटने के बाद से लगातार चल रहा है।
 
 'कास्ट' और 'पास्ट' के मुहावरों के इर्द-गिर्द चलने वाली राजस्थान की राजनीति में जाति को राजनीति में आगे बढ़ने के लिए हमेशा महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। बाड़मेर की राजनीति में मानवेंद्र 'कास्ट' और 'पास्ट' दोनों को साथ लेकर चलते दिख रहें हैं। 'स्वाभिमान सम्मेलन' कर मानवेंद्र राजपूतों को अपने पक्ष में गोलबंद करने का प्रयास करेंगें। वहीं जसवंत सिंह के साथ खड़े रहने वाले समाज के अन्य वर्ग को भी जोड़ने का प्रयास करते दिखेंगें। 
 
जसवंत सिंह के राजनैतिक उत्तराधिकारी मानवेंद्र के पिता जसवंत सिंह को मारवाड़ के राठौर राजपुत आज भी सम्मान के दृष्टिकोण से देखतें हैं। जसवंत सिंह के 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बागी होने के बावजूद राजपूत उनके साथ खड़े थें। जसवंत सिंह राठौर राजपूत समुदाय से आतें हैं और आज भी राठौर राजपूत उन्हें अपना अभिभावक मानते हैं। बीजेपी का परंपरागत वोर्टर माने जाने वाले राजपूत जसवंत की अनदेखी से नाराजगी की बात कह रहें हैं। यह भी कहा जा रहा है भाजपा के पक्ष में हमेशा खड़े रहने वाले राजपूत वर्ग का एक बड़ा तबका बाड़मेर की राजनीति में जाटों के बढ़ते प्रभाव से भी नाराज चल रहा है।
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