नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मोदी सरकार की तारीफ की है। मोदी सरकार को यह सराहना पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर रोकने के लिए मिली है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार की ‘मिशन इंद्रधनुष’ योजना के तहत जीवनरक्षक टीके लगाने के चलते शिशु मृत्युदर में कमी आई है। पांच साल में पहली बार यह मौका आया है जब भारत में शिशु मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई है। साल 2016 में भारत में 10।8 लाख ऐसे बच्चों की मौत हो गई थी जिनकी उम्र पांच साल से कम थी। साल 2017 में यह आंकड़ा घटा है और यह 9,89,000 पर पहुंच गया है। यूं तो यह गिरावट मामूली है, लेकिन इसकी पहल को लेकर WHO उत्साहित है।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि एजेंसी की रिपोर्ट में दुनिया भर में बच्चों की मौत के मामलों में भारत के मामलों की संख्या 2012 में 22 प्रतिशत से कम होकर 2017 में 18 प्रतिशत हो गई। यह दर वैश्विक कमी से ज्यादा है।
खेत्रपाल सिंह ने बताया कि भारत सरकार इंद्रधनुष मिशन के तहत बच्चों का मुफ्त टीकाकरण करती है। इस योजना से बड़ी संख्या में बच्चों को डायरिया और निमोनिया से बचाया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ की ओर से सराहना मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा, मैं शिशु मृत्यु दर कम करने के सतत प्रयासों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में अपनी टीम और हमारे राज्यो को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशन में हमारा मंत्रालय नियमित टीकाकरण और अस्पतालों में प्रसव पर ध्यान दे रहा है।’
भारत शिशु मृत्युदर कम करने में भले ही सफल हो गया है, लेकिन टीबी के मरीजों पर लगाम लगाने असफल साबित हुआ है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में पिछले साल एक करोड़ लोग टीबी से पीड़ित हुए, जिनमें 27 फीसदी लोग भारत से हैं। डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट, 2018 यहां मंगलवार को जारी की गई। इसमें टीबी के बारे में व्यापक और नवीनतम आकलन है। साथ ही वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं, उनमें क्या प्रगति आई है, यह जानकारी भी दी गई है।
दुनियाभर में टीबी के कुल मरीजों में दो तिहाई आठ देशों में हैं। इनमें से भारत में 27 फीसदी मरीज हैं, चीन में नौ फीसदी, इंडोनेशिया में आठ फीसदी, फिलीपीन में छह फीसदी, पाकिस्तान में पांच फीसदी, नाइजीरिया में चार फीसदी, बांग्लादेश में चार फीसदी तथा दक्षिण अफ्रीका में तीन फीसदी हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी के कारण प्रतिदिन करीब चार हजार लोगों की जान चली जाती है। इसमें कहा गया है कि दुनियाभर में रोगों से होने वाली मौत की दसवीं सबसे बड़ी वजह टीबी है।