नई दिल्ली। केन्द्र सरकार देश का चालू खाता नियंत्रण में रखने और गिरते रुपए को थामने के लिए कुछ सामानों के आयात में कटौती करने का मन बना रही है। पाबंदी के लिहाज से जिन सामानों पर नजर होगी, उनमें ज्यादातर चीन से आयातित वस्तुएं हैं क्योंकि भारत का चीन के साथ 63 अरब डॉलर (करीब 45 खरब रुपए) से अधिक का व्यापार घाटा है। अगर भारत सामान के आयात में कटौती करता है तो यह चीन के लिए बड़ा झटका होगा। गौरतलब है कि भारत में कच्चा तेल, बहुमूल्य पत्थर, इलैक्ट्रॉनिक्स, बड़ी-बड़ी मशीनें, ऑर्गैनिक कैमिकल्स, पशु एवं वनस्पति तेल व लोहा और स्टील का सबसे ज्यादा आयात होता है।
ऐसे गैर-जरूरी सामानों की लिस्ट में फिनिश्ड इलैक्ट्रॉनिक्स, कुछ कपड़ों, ऑटोमोबिल्स और घडिय़ों जैसे टिकाऊ कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स आदि शामिल हो सकते हैं। इनके अलावा सरकार के संभावित फैसले का टैलीविजन, कैमरा जैसे आइटम्स पर भी पड़ सकता है।
हालांकि सोना सबसे महंगे आयात की लिस्ट में शामिल है, लेकिन अर्थशास्त्री इसमें कटौती को लेकर ऊहापोह में हैं क्योंकि ऐतिहासिक घटनाएं बताती हैं कि जब कभी भी सोने के आयात पर पाबंदी लगी, इसकी देश में तस्करी बढ़ गई। ध्यान रहे कि यू.पी.ए. सरकार ने 2013 में चालू खाता घाटा बढ़ने के बाद सोने के आयात में कटौती के लिहाज से इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी।
पिछले वित्त वर्ष में भारत में 33.7 अरब डॉलर (करीब 24 खरब रुपए) मूल्य का सोना आयात हुआ था जो निर्यात और आयात के बीच का अंतर बढ़ाने का बड़ा कारक साबित हुआ। सरकार सोने का आयात घटाने के मकसद से ही गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड डिपॉजिट स्कीम्स लेकर आई।
वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने 21 अरब डॉलर (करीब 15 खरब रुपए) मूल्य के मोबाइल फोन समेत टैलीकॉम इक्विपमैंट आयात किए थे। सरकार घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है और व्यापार घाटा कम करने के लिए कुछ समय तक आयात पर आंशिक पाबंदी लगा सकती है।