ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
मुजफ्फरपुर आश्रयगृह जांच की रिपोर्टिंग पर रोक के अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर न्यायालय का नोटिस
By Deshwani | Publish Date: 11/9/2018 3:33:30 PM
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रयगृह कांड की जांच की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को बिहार सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किये। इस आश्रय गृह की अनेक महिलाओं का कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण किया गया था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार और जांच ब्यूरो, जो इस कांड की जांच कर रहा है, से 18 सितंबर से पहले जवाब मांगा है। इस मामले में अब 18 सितंबर को आगे सुनवाई होगी। 
 
पीठ को सूचित किया गया कि उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को एक महिला वकील को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है और उससे कहा है कि वह आश्रयगृह जाये जहां कथित पीड़ितों को रखा गया है और उनके पुनर्वास के इरादे से उनका इंटरव्यू करे।शीर्ष अदालत ने इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।इस कांड की जांच की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के आदेश को पटना स्थित एक पत्रकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
 
लंबे समय से आश्रय गृह की महिलाओं से कथित बलात्कार और यौन शोषण के कारण सुर्खियों में आये मुजफ्फरपुर के इस आश्रयगृह का संचालन एक गैर सरकारी संस्था करती है। मुंबई स्थित टाटा इंसटीट्यूट आफ सोशल साइसेंज (टिस) द्वारा इस संस्था के सोशल आडिट के दौरान यह मामला मामले आया।
 
बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी टिस की सोशल आडिट की रिपोर्ट में पहली बार लड़कियों के कथित यौन शोषण की बात सामने आयी। इस आश्रय गृह में 30 से अधिक लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार हुआ था। इस संबंध में 31 मई को संस्था के मुखिया बृजेश ठाकुर सहित 11 व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुयी थी। इस मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS