लखीसराय। गंगा, किऊल और हरुहर नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से बाढ़ का संकट और गहराता जा रहा है। लोग दहशत में हैं। धीरे-धीरे पूरा दियारा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया है। दियारा क्षेत्र के कई गांवों का संपर्क जिला और प्रखंड मुख्यालय से टूट गया है। हजारों एकड़ में लगे फसल भी नष्ट हो गए हैं।
बीते वर्ष बाढ़ नहीं आने के कारण इस वर्ष किसानों ने लगभग तीन हजार एकड़ में सोयाबिन की खेती की थी। बाढ़ के कारण मिर्च, टमाटर, सब्जी और मकई के फसल को भी व्यापक नुकसान हुआ है। किसान सबसे ज्यादा पशुओं के चारे के लिए परेशान हो रहे हैं।
किसानों का फसल डूबने के साथ ही गांवों में भी पानी घुसने लगा है। हरे चारे के साथ ही भूसे की भी किल्लत होने लगी है। दियारा क्षेत्र के पथुआ, कन्हरपुर, डीह पिपरिया, नवकी बिन्दटोली सहित कई अन्य गांवों का संपर्क प्रखंड और जिला मुख्यालय से टूट गया है। दियारा क्षेत्र किऊल और गंगा नदी से घिरा हुआ है। दोनों नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके कारण पूरे दियारा में बाढ़ की संभावना बनी हुई है। ऐसे में जिन गांवों में बाढ़ का पानी नहीं घुसा है वहां के लोग भी बाढ़ की संभावना को लेकर आशंकित हो रहे हैं।
जिला प्रशासन दियारा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए फसल क्षति के आकलन के लिए कृषि विभाग के द्वारा पहल किए जाने का दावा कर रहा है। जबकि हकीकत इससे इतर है। बाढ़ क्षेत्र के किसानों के फसल क्षति के आकलन के लिए कोई पहल नहीं किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में ना तो नाव की व्यवस्था की गई है और ना ही कोई सुधि लेने के लिए आया है। जिला प्रशासन का सारा दावा कागजी साबित हो रहा है। किसान सहित सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी कोस रहे हैं और अपनी पीड़ा का इजहार कर रहे हैं।
डीएम शोभेन्द्र कुमार चौधरी का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पर पैनी नजर रखी जा रही है। फसल क्षति के आकलन के लिए कृषि विभाग को निर्देश दिया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य सहित अन्य संबंधित विभागों को भी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ के मद्देनजर सभी पदाधिकारियों की छुट्टी रद्द कर उन्हें मुख्यालय में रहने का निर्देश दिया गया है।