बलिया। अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) के तहत तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान की बहाली के प्रधानमंत्री मोदी सरकार के कदम के विरोध में बलिया जिले के सोनबरसा गांव में लोगों ने होर्डिंग लगाई है। जिला मुख्यालय से तकरीबन 38 किलोमीटर दूर बैरिया-दलनछपरा मार्ग पर स्थित सोनबरसा गांव के प्राथमिक विद्यालय के सामने गांव के प्रवेश द्वार पर लगी होर्डिंग चर्चा का विषय बनी हुई है। होर्डिंग पर लिखा हुआ है ‘‘यह गांव सामान्य वर्ग का है। कृपया राजनीतिक पार्टियां वोट मांगकर शर्मिंदा ना करें, हम अपना वोट नोटा (किसी भी उम्मीदवार को नहीं) को देंगे।’’
इस अनोखे विरोध प्रदर्शन की अगुआई गांव के सामान्य वर्ग के युवा कर रहे हैं। इसमें शामिल रॉकी सिंह का कहना है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान खत्म करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय हित में था, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने न्यायालय के फैसले को पलटकर अधिनियम के जरिये ब्लैकमेल करने का औजार उपलब्ध करा दिया है। इसी गांव के रहने वाले विशाल मिश्र ने कहा कि राजनीतिक दलों के लिये आम लोगों का हित और सरोकार कोई मायने नहीं रखता, उन्हें केवल सत्ता में बने रहने की ही चिंता है।
बैरिया इलाके के बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि युवाओं की भावनाएं उचित हैं लेकिन वह विरोध कर रहे युवाओं से नोटा का प्रयोग नहीं करने की गुजारिश करेंगे। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि अगर सवर्ण वर्ग के लोगों ने नोटा का प्रयोग कर दिया तो आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले दिनों सवर्ण समाज से जुड़े संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था। मध्य प्रदेश लेकर बिहार तक इसका असर भी देखने को मिला था।
इस बीच अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के खिलाफ बोलने वाले द्वारका-शारदापीठ और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने रविवार को मथुरा में कहा कि आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बजाए समाज के हर वर्ग को उन्नति का समान अवसर देकर समाज सेवा के योग्य बनाया जाना चाहिए, तभी सभी की भलाई संभव है। उनके प्रतिनिधि द्वारा जारी बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान के अनुसार, स्वामी ने कहा कि जिन्हें शिक्षा, नौकरी, तरक्की सभी में आरक्षण की विशेष सुविधा मिल रही हो, उन्हें कोई क्या सता पाएगा? उन्होंने पूछा कि जब वे आरक्षण का लाभ उठाकर उच्च पदों पर बैठे हैं, तो क्या उन्हें सता पाना संभव भी है। उन पर कोई कैसे अत्याचार करेगा। नेताओं को हर व्यक्ति, हर वर्ग के कल्याण के लिए सोचना चाहिए, न कि केवल किसी वर्ग विशेष के लिए।