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सुप्रीम कोर्ट ने कहा,लेखक को शब्दों से खेलने का हक, उपन्यास ‘मीशा’ पर पाबंदी से किया इनकार
By Deshwani | Publish Date: 5/9/2018 12:48:42 PMनयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ‘‘ मीशा ' नाम के उपन्यास पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी और कहा गया था कि उसमें मंदिर जाने वाली हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है। न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ‘ लेखक की रचनात्मकता का सम्मान ' किया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किताब को ‘‘ खंड-खंड में नहीं' बल्कि पूर्ण रूप में पढ़ने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी पीठ का हिस्सा थे। पीठ ने कहा, ‘ किताब को लेकर व्यक्तिपरक धारणा को सेंसरशिप के संबंध में कानूनी दायरे में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।' पीठ ने यह भी कहा कि जिस तरह एक चित्रकार रंगों से खेलता है उसी तरह एक लेखक को शब्दों से खेलने की इजाजत होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिल्ली निवासी एन राधाकृष्णन की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता ने लेखक एस हरीश के मलयाली उपन्यास ‘ मीशा ' से कुछ अंशों को हटाने की मांग की थी।