नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के जनाजे में उमड़ने वाली भीड़ की तस्वीरें अक्सर हमारे दिल और दिमाग को झकझोर कर रख देती हैं। इन तस्वीरों में नजर आने वाली भीड़ को देखते ही हमारे जहन में कुछ सवाल कौंधने लगते हैं। तमाम सवालों में एक सवाल यह भी होता है कि आखिर कश्मीरियों के दिल में इन दहशतगर्दों के लिए इतनी हमदर्दी क्यों है? इन सवालों का सही जवाब मिल या न मिले, लेकिन हम कश्मीरियों को 'देशद्रोही' या 'पाकिस्तान समर्थक' होने का तगमा जरूर दे देते हैं।
दरअसल, इन तस्वीरों में दिखने वाली भीड़ एक सच जरूर है, लेकिन उस सच के पीछे छिपी क्रूरता का अंदाजा जम्मू-कश्मीर के बाहर बेहद कम ही लोगों को है। इस वीडियो को देखने के बाद न केवल आपको आपके सवालों का जवाब मिल जाएगा, बल्कि कश्मीरियों पर होने वाली क्रूरता का अंदाजा भी लग जाएगा। दरअसल, यह वीडियो हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी अल्ताफ डार उर्फ अल्ताफ कचरू का है। हिजबुल मुजाहिद्दीन के इस कमांडर को सुरक्षाबलों ने 29 अगस्त को अनंतनाग में मार गिराया था।
घाटी में मौजूद आतंकी अपने कमांडर के जनाजे को बेहद शान से निकालना चाहते थे। आतंकियों की यही चाहत कश्मीरी युवकों के लिए कहर का सबब बन गई। आतंकियों ने घाटी में सक्रिय अपने स्लीपर सेल को हजारों की तादाद में लोगों को इकट्ठा करने का फरमान सुना दिया। फरमान मिलते ही आतंकी और उनके मददगारों ने AK-47 और डंडों के बल पर घरों से निकालना शुरू कर दिया गया। लोगों को पीट-पीट कर एक जगह पर इकट्ठा किया गया। यहां किसी को डंडे की मार से डराया जा रहा था, तो किसी को हवाई फायरिंग के जरिए धमकाया जा रहा था।
कश्मीरी युवकों पर आतंकियों का यह कहर सिर्फ एक तस्वीर के लिए था। एक ऐसी तस्वीर जिसमें आतंकी के शव के साथ हजारों की भीड़ को दिखाया जा सके। इस तस्वीर का इस्तेमाल आतंकी विश्व पटल पर अपने लिए हमदर्दी पैदा करने के लिए करते हैं। इन तस्वीरों के जरिए आतंकी दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर की आवाम तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उनके साथ खड़ी है। इस एक तस्वीर को हासिल करने के लिए आतंकी क्रूरता की सारी हदें पार कर देते हैं। आंतकियों का यही खौफ कश्मीर के स्थानीय लोगों को जनाजे में पहुंचने के लिए मजबूर कर देती है।
सारे सवालों का जवाब मिलने के बाद एक आखिरी सवाल यह आता है कि जब फौज को सब कुछ पता है, सब नजर आ रहा है, तब वह इन आतंकियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? कश्मीर में तैनात सुरक्षाबल के वरिष्ठ अधिकारी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आतंकियों को न ही अपने साथी की मौत का कोई गम होता है और न ही वे कश्मीरियों से कोई हमदर्दी रखते हैं। उनके हर कदम के पीछे कोई न कोई नापाक मंसूबा छिपा होता है। ऐसी स्थिति में सुरक्षाबलों की तरफ से कोई कार्रवाई की जाती है तो आतंकी स्थानीय लोगों को निशाना बनाने में नहीं चूकेंगे। बाद में फौज के प्रति नफरत फैलाने के लिए इन मौतों का जिम्मेदार सुरक्षाबलों को बता दिया जाएगा। हाल में एक ऐसी ही घटना हो चुकी है। स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षाबल ऐसी जगहों पर कार्रवाई करने से बचते हैं।