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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, 'न्यायिक व्यवस्था में बुनियादी ढांचे की कमी को जल्द दूर करने की जरूरत'
By Deshwani | Publish Date: 1/9/2018 5:40:55 PM
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, 'न्यायिक व्यवस्था में बुनियादी ढांचे की कमी को जल्द दूर करने की जरूरत'

नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शनिवार को कहा कि न्यायिक व्यवस्था में बुनियादी ढांचे की कमी को न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले ही जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए और वित्तीय बाधाओं को बहाना के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा आयोजित 'प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे: शीघ्र न्याय की कुंजी' और 'भारत में कानूनी शिक्षा का बदलता चेहरा' विषय पर अपने व्याख्यान में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि न्यायपालिका को मजबूत करना गुणात्मक और त्वरित न्याय में मददगार होगा।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा, 'आधारभूत ढांचे की कमी को बढ़ने नहीं दिया जाना चाहिये और न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले यथाशीघ्र इसका समाधान किया जाना चाहिए। वित्तीय बाधाएं कोई बहाना नहीं हैं। आवश्यकता न्यायपालिका को मजबूत करने की है, जिसके परिणामस्वरूप न्याय प्रदान करने की व्यवस्था तेज, गुणात्मक रूप से उत्तरदायी हो और न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करे।'  

शनिवार का पूर्वार्द्ध प्रधान न्यायाधीश के लिए काफी व्यस्तताओं से भरा रहा। उन्होंने सुबह में सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म (एसआईएलएफ) और मेनन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल एडवोसीसी ट्रेनिंग द्वारा 'राष्ट्र निर्माण में कानूनी शिक्षा की भूमिका' पर विषय पर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन 10 वें विधि शिक्षक दिवस पुरस्कार समारोह के हिस्से के रूप में किया गया।

बाद में, उन्होंने एससीओआरए सम्मेलन में भाग लिया, जिसका उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। एससीएआरए के कार्यक्रम में सीजेआई ने जोर दिया कि पर्याप्त आधारभूत संरचना एक प्राथमिक चिंता बनी हुई है क्योंकि इसके बिना सबके लिये न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को साकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आम आदमी के वास्ते भौगोलिक पहुंच को बढ़ाने के लिये अदालतों के नेटवर्क का विस्तार करने की जरूरत है ताकि वादकारों और वकीलों के लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा, 'न्यायिक आधारभूत संरचना में बार और वादकारों के लिये बुनियादी ढांचा शामिल हैं जो न्याय वितरण प्रणाली की रीढ़ है।' 

न्यायमूर्ति मिश्रा ने यहां 10 वें कानून शिक्षक दिवस पुरस्कार समारोह में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि लॉ स्कूल कानूनी पेशेवरों को तैयार करने की जगह हैं जो विधि के शासन के कार्यान्वयन के लिए प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विधि शिक्षा एक विज्ञान है जो कानून के छात्रों को परिपक्वता की भावना और समाज की समझ देता है और उन्हें नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में उभरने के लिए ढालता है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, 'देश में विधि के शासन का कार्यान्वयन देश में कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। लॉ स्कूल कानूनी पेशेवरों को तैयार करने की जगह हैं। कानूनी पेशेवर विधि के शासन के कार्यान्वयन के लिए प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं और विकास में जबरदस्त योगदान देते हैं।'  

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, 'विधि शिक्षा एक विज्ञान है जो कानून के छात्रों को न केवल कुछ कानूनी प्रावधानों का ज्ञान देता है बल्कि परिपक्वता की भावना और समाज की समझ भी देता है जो उन्हें नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में उभरने के लिए ढालता है।' दोनों कार्यक्रमों में उन्होंने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कामकाज की सराहना की और कहा कि संस्थान देश में कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सबसे सफल कवायद साबित हुआ है।
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